प्राणघातक व्यसन - श्रीराम शर्मा आचार्य पुस्तक | Pranghatak Vyasan - Shriram Sharma Acharya Book PDF

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प्राणघातक व्यसन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Pranghatak Vyasan Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : प्राणघातक व्यसन | इस ग्रन्थ के लेखक हैं - पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 9 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 28 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Pranghatak Vyasan. This book is written by : Pandit Shriram Sharma Acharya | The book is published by : Yug Nirman Yojana, Gayatri Tapobhumi, Mathura. Approximate size of the PDF file of this book is 9 MB. This book has a total of 28 pages.



पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्रीराम शर्मा आचार्यसमाज, धर्म9 MB28


पुस्तक से : 

जो व्यक्ति उत्तेजक पदार्थों से शक्ति प्राप्ति की आशा रखता है, वह कृत्रिम माया की मरीचिका में निवास करता है । स्वाभाविक, प्राकृतिक शक्ति ही मनुष्य की वास्तविक पूँजी हो सकती है । वस्तुतः शराबसे शक्ति प्राप्ति की धारणा भ्रान्तिमूलक है।

 

भोजन स्वाद के लिए या पेट भरने के लिए ही नहीं है वरन उसका उद्देश्य शरीर को ऐसे पोषक पदार्थ देना है जो निरोगता स्फूर्ति एवं दीर्घजीवन प्रदान करते हुए मन बुद्धि को भी स्वस्थ दिशा में विकसित करे । हर पदार्थ में स्थूल गुणों के साथ-साथ एक सूक्ष्म गुण भी होता है। खाद्य पदार्थों के जो सूक्ष्म गुण है उनका भला-बुरा प्रभाव शरीर पर पड़ेगा और उसके जो सूक्ष्म गुण होंगे उनका प्रभाव मन बुद्धि पर पड़ेगा।

 

पीने के कुछ काल तक इससे हमारी पूर्व संचित शक्ति एकत्रित होकर उद्दीप्त मात्र होती है। नई शक्ति नहीं आती। यह शक्ति उत्पन्न करने के स्थान पर, नशेके बाद मनुष्य को निर्बल, निस्तेज और निकम्मा बना जाती है। आदत पड़ने पर इसकी उत्तेजना के बिना कार्य में तबियत नहीं लगती । गरीब भारत का इतना रुपया इसमें व्यय हो जाता है कि पौष्टिक भोजन, दूध, फल, इत्यादि के लिए कुछ शेष नहीं बचता।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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