प्रतीक पूजा का वैज्ञानिक आधार - श्रीराम शर्मा आचार्य | Pratik Pooja ka Vaigyanik Aadhar - Shriram Sharma Acharya PDF


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प्रतीक पूजा का वैज्ञानिक आधार हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Pratik Pooja ka Vaigyanik Aadhar Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : प्रतीक पूजा का वैज्ञानिक आधार | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB है | इस पुस्तक में कुल 33 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "प्रतीक पूजा का वैज्ञानिक आधार" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Pratik Pooja ka Vaigyanik Aadhar | This book is authored/edited by : Pandit Shriram Sharma Acharya | This book is published by : Yug Nirman Yojana Vistar Trust, Gayatri Tapobhumi, Mathura | PDF file of this book is of size 1 MB approximately. This book has a total of 33 pages. Download link of the book "Pratik Pooja ka Vaigyanik Aadhar" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यधर्म, अध्यात्म 1 MB33



पुस्तक से : 

मित्रो, मूर्तियाँ इस बात की प्रतीक हैं कि हम उन भावनाओं को, जिनको हम बार-बार भूल जाते हैं और जो बातें हमारे दिमाग में से निकल जाती हैं, हमारे ख्यालों में से निकल जाती हैं, उन्हें हम अपने ख्यालों में जगाएँ।

 

मित्रो, प्रतीक हमारे माध्यम हैं और माध्यम केवल इसलिए हैं कि उनके साथ में जो मूल प्रेरणा और मूल प्रकृति जुड़ी हुई है उसके संबंध में हम जानकार रहें और उसको अपने हृदयमें स्थान देने की कोशिश करें। न केवल हृदयमें स्थान देने की कोशिश करें, बल्कि अपने जीवन का एक हिस्सा बना लें।

 

एक दिन हमने आपको ये भी कहा था कि उपासना को सस्ती बनाएँगे और हर बच्चे-बच्चे को उपासना करने के लिए कहेंगे। हम यह कहेंगे कि गायत्री माताका एक फोटो अपने घरमें पूजा-स्थली पर रखिए। यदि आप निराकारको मानने वाले हैं तो गायत्री मंत्र टाँग लीजिए। हमें कोई एतराज नहीं है। साकार उपासनाको मानने वाले हैं तो आप गायत्रीमाता की तस्वीर रख लीजिए और सुबह-शाम संध्यावंदन का क्रम आरंभ कीजिए।

 

 

मित्रो, क्या हम प्रतीकों की उपेक्षा कर सकते हैं? नहीं, हम प्रतीकों की उपेक्षा नहीं कर सकते। प्रतीकों के माध्यमसे हम उस ज्ञान को जो हमारी भारतीय संस्कृतिका मूल है, हर आदमीके गले में उतारने की हम कोशिश करेंगे। इंजेक्शन की सिरिंज के बिना हम किसी तरीके से दवा आपके खूनमें प्रवेश नहीं करा सकते हैं।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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