पुराण दर्शन समग्रदृष्टि हिन्दी पुस्तक | Puran Darshan Samagra Drishti Hindi Book PDF

  

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पुराण दर्शन समग्रदृष्टि दृष्टि हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Puran Darshan Samagra Drishti Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : पुराण दर्शन समग्रदृष्टि | इस पुस्तक के लेखक हैं - पंडित अनंत शर्मा | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 99 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 190 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Puran Darshan Samagra Drishti. This book is written by : Pandit Ananta Sharma | The book is published by : Jagadguru Ramanandacharya Rajasthan Sanskrit Vishwavidyalaya, Jaipur. Approximate size of the PDF file of this book is 99 MB. This book has a total of 190 pages.



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पंडित अनंत शर्मा धार्मिक99 MB190


पुस्तक से : 

'पुराणमित्येव न साधु सर्वम्' इस उक्तिका प्रयोग महाकवि कालिदासने किन परिस्थितियोंमें किया यह तो उसकी विवक्षाके मर्मज्ञों, सहृदयों एवं समीक्षकोंमें सदैव चर्चाका विषय रहा ही है। यह सत्य है कि उक्त कथन प्रकृत पुराणोंके विषयमें तो कथमपि ग्राह्य नहीं है।

 

हमारे लिए वे ऐतिहासिक दस्तावेज हैं जिनके जरिए भारतवर्ष एवं विश्वकी भौगोलिक एवं शासनिक व्यवस्थाका एक नवीन चित्रफलक प्रस्तुत हो सकता है जो इस देशकी अस्मिताको नवीन जीवनदान देसकते हैं जिससे भारत वर्षका विश्वगुरुत्व स्थापित हो सकता है।

 

पुराण भारतीय धर्म एवं विद्याओंके चौदह स्थानोंमें परिगणित होनेसे अतीमहत्त्वपूर्ण हैं। ऋषिदयानन्दकी परम्पराका निर्वहन करने वाले आर्यसमाजीय विचारकोंने पुराण खण्डनके सन्दर्भमें बहुविध लिखा, साथ ही स्वामी श्रीकरपात्रीजी ने पुराण विषयक अनेक ग्रन्थ लिखकर पुराणोंकी महत्ता प्रतिपादितकी।

 

आर्ष संस्कृतिमें पुराणोंको धर्म तथा समस्त विद्याओंके मूल उत्सके रूपमें अन्य शास्त्रोंके साथ प्रथमतया परिगणित किया गया है। यह परिगणन सोद्देश्य एवं सार्थक है। वेदोंमें जहां सृष्टि, धर्म एवं विधाओंके तत्त्व अतिसंक्षिप्त सूत्र रूपमें अतएव किंचित् क्लिष्ट शैलीमें वर्णित है वहीं पुराणोंमें ये तत्त्व सर्वजन सुखबोधके लिये रोचक प्रसंगोंके माध्यमसे सरल शैलीमें वर्णित हैं। पुराणों की महत्ता बताने वाले वचनोंमें पुराणको वेदसे भी अधिक श्रेष्ठ बताया गया है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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