पुराण दिग्दर्शन हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Puran Digdarshan Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : पुराण दिग्दर्शन | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित माधवाचार्य शास्त्री । पुस्तक का प्रकाशन किया है : माधव पुस्तकालय, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 30 MB हैं | पुस्तक में कुल 788 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Puran Digdarshan. This book is written by : Pandit Madhavacharya Shastri. The book is published by : Madhav Pustakalaya, Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is 30 MB. This book has a total of 788 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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पंडित माधवाचार्य शास्त्री | भक्ति,धर्म,पुराण | 30 MB | 788 |
पुस्तक से :
छन्दः यद्यपि गायत्री से लेकर जगती तक सात हैं, किन्तु गायत्री और विराट् ये दो छन्द इस सृष्टि विद्यामें महत्वपर्ण माने गये हैं। इन दो में ही समस्त सृष्टिका सार निहित है । वैदिक प्रक्रियामें गायत्री को भूमि स्थानीया प्रकृतिकी प्रतिनिधि माना गया है, और विराट् को द्यौ स्थानीय पुरुष का प्रतिनिधि स्वीकार किया गया है। द्यावाभूमि या विराट् गायत्री ही सृष्टिके मुख्य आधारभूत तत्त्व हैं । सो गायत्री अष्टाक्षर पाद का छंद है और विराट् दशाक्षर पाद का। आठ और दश अठारह।
देवी भागवत को छोड़ कर प्रायः सभी पुराणों में पहला पुराण 'ब्रह्म' है और अन्तिम पुराण 'ब्रह्माण्ड' है, अर्थात ब्रह्मही ब्रह्माण्ड रूपमें परिणत हो जाता है। यह दृश्य ब्रह्माण्ड ब्रह्म के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं है। अब अन्य पुराणों का क्रम भी देखिये। आपने कभी शेषशायी भगवान्का चित्र अवश्य देखा होगा, यह एक वैज्ञानिक चित्र है साधारण होते हुए भी फिलोसॉफी से भरपूर है।
दशम पुराण 'स्कन्द', भगवान शिवके नाना अवतारों के चरित्रों का आदेश करता हुआ 'विद्याकामस्तु गिरिशम्' के अनुसार ब्रह्मविद्या एवं ज्ञान के अधिकारी पुरुषों को शिव उपासनाकी शिक्षा देता है। ग्यारहवां भविष्य पुराण' धम्मर्थि काम मोक्षके प्रथम साधन आरोग्यकी प्राप्ति के लिए सूर्य भगवान् की उपासनाका महत्त्व बतलाता है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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