पुराण विमर्श हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Puran Vimarsh Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : पुराण विमर्श | इस पुस्तक के लेखक हैं : आचार्य बलदेव उपाध्याय । पुस्तक का प्रकाशन किया है : चौखंबा विद्याभवन, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 22 MB हैं | पुस्तक में कुल 646 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Puran Vimarsh. This book is written by : Acharya Baldev Upadhyay. The book is published by : Chaukhamba Vidyabhavan, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 22 MB. This book has a total of 646 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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आचार्य बलदेव उपाध्याय | धर्म,पुराण | 22 MB | 646 |
पुस्तक से :
महाभारत के तीन संस्करण माने जाते हैं। ये तीनों जय, भारत तथा महाभारत है। आजकल का महाभारत भी नवीन ग्रंथ नहीं है। गुप्तकालीन शिलालेखों में इसके लक्षश्लोकात्मक आकार का परिचय मिलता है। फलतः यह तृतीय शताब्दी से अर्वाचीन नहीं हो सकता। इसका मूल तो और भी प्राचीन होना चाहिए। महाभारत में पुराण का सामान्य रूप ही उल्लिखित नहीं है, बल्कि उनकी कथाओंके रूप तथा वैशिष्ट्य से तथा अठारह पुराणोंसे वह परिचय रखता है।
कौटिल्य ने अपने 'अर्थशास्त्र में पुराण की गणना 'इतिहास' के अन्तर्गत की है। कौटिल्य की दृष्टि में इतिहास का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है। उनका कथन है कि दिन के पिछले भागको राजा इतिहास के सुनने में बिताएं। इतिहास क्या ? पुराण, इतिवृत्त, आख्यायिका, उदाहरण, धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्र इन सब की गणना इतिहास के भीतर ही करनी चाहिए । फलतः पुराण से कौटिल्य परिचय रखते हैं।
विक्रम के आरम्भिक आठ शताब्दियों में जन्म लेने वाले कविजनो के काव्यो का यदि अनुशीलन किया जाय, तो पुराणके विषयमें पूर्वप्रतिपादित तथ्यो में परिवर्तन करनेकी आवश्यकता प्रतीत न होगी। माघ स्वयं वैष्णव कवि थे। उन्होंने शैव भारवि की महिमा को परास्त करने की दृष्टिसे अपने 'शिशुपाल वध' नामक प्रख्यात वैष्णव काव्यका प्रणयन किया।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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