राजस्थान का इतिहास हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Rajasthan ka Itihas Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : राजस्थान का इतिहास | इस पुस्तक के लेखक हैं : बी. एम. दिवाकर | पुस्तक का प्रकाशन किया है : सहित्यागार, जयपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 11 MB हैं | पुस्तक में कुल 458 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Rajasthan ka Itihas. This book is written by : B. M. Diwakar. The book is published by : Sahityagar, Jaipur. Approximate size of the PDF file of this book is 11 MB. This book has a total of 458 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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बी. एम. दिवाकर | इतिहास | 11 MB | 458 |
पुस्तक से :
राजपूत शब्द का प्रयोग नया नही है। प्राचीन भारत के ग्रन्थों में इसका व्यापक प्रयोग मिलता है। चाणक्य के अर्थशास्त्र, कालीदास के नाटकों तथा बाणभट्ट के हर्षचरित तथा कादम्बरी में इस शब्द का बहुतायत प्रयोग मिलता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी, जो हर्षवर्धन के समय में आया था, राजाओ को कही क्षत्री तो कहीं राजपूत लिखा है। इस बात से इस शब्द की प्राचीनता स्पष्ट हो जाती है।
भारत में अधिकांश लोग विदेशों से आये। आर्यों से लेकर अंग्रेजो तक कोई एक दर्जन विदेशी शासकों ने भारतपर आक्रमण किया और फिर यहीं बसकर भारतीय धर्म और संस्कृतिको अपना लिया। इसी आधार पर कुछ भारतीय व कुछ विदेशी लेखकों का ऐसा मत है कि राजपूत भी विदेशी थे।
सातवीं शताब्दी के क्षत्रियों ने अपना महत्त्व खो दिया था क्योंकि वे अन्य तीन वर्णों की रक्षा नहीं कर पाए थे, किन्तु राजपूतों के उत्थान के साथ ही इनका का महत्त्व पुनः बढने लगा । चारण व भाटों ने इनकी खोई हुई महिमा को पुनः दोहराने के लिए पुरानी दैविक शक्ति सिद्धान्त को दोहराया।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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