रत्न प्रदीप हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Ratna Pradeep Hindi Book PDF

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रत्न प्रदीप हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Ratna Pradeep Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : रत्न प्रदीप | इस पुस्तक के लेखक हैं - डॉ गौरीशंकर कपूर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : रंजन पब्लिकेशन्स, न्यू दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 98 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 272 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Ratna Pradeep. This book is written by : Dr Gauri Shankar Kapoor | The book is published by : Ranjan Publications, New Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is 98 MB. This book has a total of 272 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ गौरीशंकर कपूर ज्योतिष, धर्म98 MB272



पुस्तक से : 

प्रस्तुत रचना में विद्वान् लेखक ने संस्कृत, हिन्दी, उर्दू व अंग्रेजी के विशाल साहित्य से चुन-चुनकर उपयोगी सामग्री संकलित की है। मधुकरवृत्ति से संचित यह सारा ग्रन्थ मानो गागर में सागर भरने जैसा भगीरथ उद्यम है। यही नहीं, स्थान-स्थान पर निजी अनुभव देकर ग्रन्थ को अधिक प्रामाणिक एवं उपादेय बनाया है।

 

संसार के प्रत्येक भाग में रत्नोंके प्रति आकर्षण प्राचीन काल से ही चला आया है। रत्न अपने चित्ताकर्षक रंग तथा ज्वलंत आभा के कारण बरबस मनको मोह लेते हैं और प्रकृतिकी यह देन संसारमें लगभग किसी न किसी अंश में सब ही देशों में प्राप्त है। रत्न केवल आभूषणोंकी ही शोभा नहीं बढ़ाते, परन्तु ऐसा विश्वास है कि उनमें दैविक शक्ति भी निहित है और इसके कारण भी रत्नोंके प्रति जन साधारण का आकर्षण है.

 

रत्नों की संख्या काफी बड़ी है, परन्तु भारतमें जौहरियों ने विशेष मान्यता केवल 84 रत्नों को दी है। इन 84 रत्नों में से 9 माणिक्य, मोती, प्रवाल (मूंगा) पन्ना, पुष्पराग (पुखराज), हीरा, नीलम, गोमेद और वैदूर्यमणि (लहसुनिया) नवरत्न की श्रेणी में प्रतिष्ठित हैं। इन नवरत्नोंमें से भी 5 रत्न यथा माणिक्य, मोती, हीरा, नीलम, और पन्नाको एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है और वे महारत्न माने जाते हैं, शेष केवल रत्न.

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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