ऋग्वैदिक अध्ययन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Rigvaidika Adhyayana Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : ऋग्वैदिक अध्ययन | इस पुस्तक के लेखक हैं - डॉ. शशि तिवारी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : वेंकटेश प्रकाशन, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 68 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 422 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Rigvaidika Adhyayana. This book is written by : Dr. Shashi Tiwari | The book is published by : Venkatesh Prakashan, Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is 68 MB. This book has a total of 422 pages.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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डॉ. शशि तिवारी | धार्मिक | 68 MB | 422 |
पुस्तक से :
इसीलिए प्रत्येक वेद-मन्त्रमें असीम रहस्य भरा पड़ा है। ऋषियों मुनियों ने कभी भी वेदके ज्ञानको अपना ज्ञान नहीं कहा है। लेकिन यह भी सत्य है कि उनके द्वारा तत्त्वज्ञानके साक्षात्कारके फलस्वरूप ही वेद ने ग्रन्थ k रूप प्राप्त किया है।
जीवनसे सम्बद्ध जटिल प्रश्नोंके समाधानके लिए वैदिक चिन्तकों द्वारा स्थापित सूक्ष्म सिद्धान्तोंका अवबोधन अपेक्षित है। पग पग पर उपस्थित होने वाली विकट समस्याओंके निराकरणमें उनके द्वारा मान्य उदात्त आदर्शोंका सम्यक् आचरण सहायक है।
वेद मानवीयताकी एक महान् निधि हैं । वेदविद्या किसी देश अथवा काल तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि सम्पूर्ण विश्वके लिए सभी कालोंमें प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण होती है। अथर्ववेदके शब्दोंमें वेद ऐसा काव्य है जो न तो मरता है और ना ही पुराना होता है।
प्राचीन और आधुनिक भाष्यकारोंकी लम्बी परम्परा द्वारा वेदानुशीलनका इतिहास समृद्ध हुआ है। भारतीय विद्वानोंके अलावा विदेशी विद्वानों ने भी वेदसे सम्बन्धित विभिन्न विषयोंपर अनेक समालोचनात्मक ग्रन्थोंका प्रणयन करके इस सन्दर्भमें अपना विशेष योगदान दिया है। वस्तुतः यह महनीय वेदविद्याकी ही महिमा है कि वह अपने अध्येताओंमें उत्तरोत्तर जिज्ञासा और शोध-प्रवृत्तिको उबुद्ध कर देती है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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