सात्विक जीवनचर्या और दीर्घायुष्य हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Satvik Jivancharya aur Dirghayushya Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : सात्विक जीवनचर्या और दीर्घायुष्य | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं - पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 20 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 52 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Satvik Jivancharya aur Dirghayushya. This book is written/edited by : Pandit Shriram Sharma Acharya | The book is published by : Yug Nirman Yojana, Gayatri Tapobhumi, Mathura. Approximate size of the PDF file of this book is 20 MB. This book has a total of 52 pages.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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श्रीराम शर्मा आचार्य | अध्यात्म, स्वास्थ्य | 20 MB | 52 |
पुस्तक से :
आहार-विहारसे स्थूल शरीर का, संतुलन और सत्-चिंतन से सूक्ष्मशरीर का तथा सौजन्य-सद्भाव से कारण शरीरका स्वास्थ्य संरक्षण होता है। नैतिक एवं उदार जीवनक्रम अंतरात्माको सबल रखता है और शारीरिक आरोग्य अंतःकरणकी उत्कृष्टता का सहज सुलभ प्रतिफल मात्र है।
स्वास्थ्य रक्षा के नियमों में सभी सरल और स्वाभाविक हैं। उनमें न कोई कठोर है और न कष्ट साध्य कठिन तो दुष्कर्म होते हैं। चोरी, उठाईगीरी, छल आदि दुष्कर्म करने के लिए असाधारण चतुरता और कुशलताकी आवश्यकता पड़ती है, किंतु सच्चाई, ईमानदारीकी राह पर चलना किसी अल्पबुद्धि वाले के लिए भी सरल है।
प्रकृति से लड़कर नहीं, हम उसका अनुगमन करके ही चैन से रह सकते हैं। यह तथ्य यदि हृदयंगम किया जा सके, तो मनुष्य जाति के सामने खड़ी स्वास्थ्य संकट की विषम विभीषिकासे सहज ही छुटकारा पाया जा सकता है।
कुछ थोड़े से नियम अनुशासन ही ऐसे हैं, जिन्हें यदि दृढ़तापूर्वक अपनाया और स्वभावका अंग बनाया जा सके तो न केवल बिगड़े हुए स्वास्थ्यको ही सुधारा जा सकता है, वरन् संयम साधना के फलस्वरूप मिलने वाली बलिष्ठता एवं दीर्घ जीवनका वरदान भी पाया जा सकता है। इस प्रकार के नियमोंमें सात प्रमुख माने गए हैं।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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