शिक्षा मनोविज्ञान हिन्दी पुस्तक | Shiksha Manovigyan Hindi Book PDF

                                       

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शिक्षा मनोविज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shiksha Manovigyan Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : शिक्षा मनोविज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : चंद्रमौली सुकुल | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 5 MB हैं | पुस्तक में कुल 353 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Shiksha Manovigyan. This book is written by : Chandramauli Sukul. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 5 MB. This book has a total of 353 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
चंद्रमौली सूकुलशिक्षा,समाज5 MB353



पुस्तक से : 

अब तक तो यही समझा जाता था कि शिक्षा का अभिप्राय लैटिन और ग्रीक पढ़ा देना है, विद्यार्थियों को जितना हो सके उतना रटवा देना है किंतु विज्ञान की बढ़ती रुचि ने उनके विचारों में परिवर्तन ला दिया। विज्ञान की इस बाढ़ का शिक्षा-विज्ञान पर दो तरह का असर हुआ। पहला असर यह था कि शिक्षा विज्ञान का रुख लैटिन और ग्रीक से हटकर विज्ञान पढ़ाने की तरफ हो गया तथा दूसरा असर यह था कि शिक्षा-विज्ञानियों का ध्यान शिक्षा मनोविज्ञान की तरफ जाने लगा ।

 

यूरोप में, सोलहवीं शताब्दी में, ग्रीक तथा रोमन भाषा और साहित्य का पढ़ाना ही 'शिक्षा' का उद्देश्य समझा जाता था। उस समयके लोगों का कथन था कि मानव जातिकी उन्नति के लिये इन भाषाओं का, और इन भाषाओं में पाए जानेवाले साहित्य का अध्ययन अति आवश्यक है, इनका पढ़ाना ही वास्तविक शिक्षा है।

 

 

भोजन को देखते ही कुत्ते के मुख से लाला रस टपकने लगता था। भोजन लाने से पूर्व ही भोजन के लिये चहल-पहल को देखकर उसका मुँह लार से भर जाता था। भोजन की तश्तरी देसकर उसका मुंह भीग जाता था। यहाँ तक कि भोजन लानेवाले के कदमों की आहट सुनकर भी उसका मुँह गीला हो जाता था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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