श्री बगलामुखी चालीसा हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Baglamukhi Chalisa Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : श्री बगलामुखी चालीसा | इस पुस्तक के लेखक हैं - श्री योगेश्वरानंद | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 8 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Shri Baglamukhi Chalisa. This book is written by : Shri Yogeshwaranand | The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 1 MB. This book has a total of 8 pages.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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श्री योगेश्वरानंद | धार्मिक | 1 MB | 8 |
पुस्तक से :
आपत्ति जनकी तुरत निवारो, आधि व्याधि संकट सब टारो। पूजा विधिनहिं जानत तुम्हरी, अर्थन आखर करहूं निहोरी। मैं कुपुत्र अति निवल उपाया, हाथ जोड़ शरणागत आया। जगमें केवल तुम्हींसहारा, सारे संकट करहुँ निवारा।
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्ते हर्निशं मया। दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि। आवाहनं न जानामिन जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितमया देवि परिपूर्ण तदस्तुमे।
तुम हताशका निपट सहारा, करे अकिंचन अरिकल धारा। तुम कालीतारा भुवनेशी, त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी। छिन्नभाल धूमा मातंगी, गायत्री तुम बगला रंगी। सकल शक्तियाँ तुममें साजें, ह्रीं बीजके बीजबिराजें। दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन।
दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिव्हा कीलक सघाता। साधकके विपतिकी त्राता, नमो महामाया प्रख्याता। मुद्गर शिला लिये अति भारी, प्रेतासन पर किये सवारी। तीन लोक दस दिशा भवानी, बिचरहु तुम जन हित कल्यानी। अरि अरिष्ट सोचे जो जनको, बुद्धि नाशकर कीलक तनको। हाथ पांव बांधहुं तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके। चोरोंका जब संकट आवे, रणमें रिपुओंसे घिर जावे।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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