श्री कृष्ण माधुरी (सूरदास जी) - गीता प्रेस | Shri Krishna Madhuri (Surdas ji) - Gita Press PDF

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श्री कृष्ण माधुरी हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Krishna Madhuri Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : श्री कृष्ण माधुरी | इस पुस्तक के लेखक हैं : श्री सूरदास जी | इस रचना के हिन्दी अनुवादक हैं : सुदर्शन सिंह. पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 93 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 294 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Shri Krishna Madhuri. Author of this book is : Shri Surdas ji. Hindi translation of the composition is done by : Sudarshan Singh. The book is published by : Gita Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 93 MB. This book has a total of 294 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्री सूरदास जी भक्ति, धर्म93 MB294



पुस्तक से : 

इसमें माधुर्यपरक लगभग साढ़े तीन सौ चुने हुए पदों का समावेश हुआ है, जो काव्य-कला एवं भाव की दृष्टिसे अनुपमेय हैं। इनमें भक्त-शिरोमणि कविने भावकी जो सरस धारा बहायी है, उसमें अवगाहन करनेपर ही उसका कुछ स्वाद मिल सकेगा । उसके विषय में कुछ लिखना वैरस्यका कारण भले ही बने।

 

उसी लोकोत्तर छवि का सूर ने इन पदों में बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया है। दूसरे भाग में, जिसमें दो सौ से कुछ कम पद हैं, उनकी मुरलीकी अलौकिक माधुरीका वर्णन है, जिसकी अनुपम स्वर-लहरी अचेतनों में चेतनता का संचार कर देती थी और चेतनों को विजडीत कर देती थी - 'अस्पन्दनं गतिमतां पुलकस्तरूणाम् ।' मुरलीकी मोहकता के वर्णन में तो सूरदासजीने मानो कलम ही तोड़ दी है। मुरली पर संस्कृत एवं प्रादेशिक भाषाओं में इतना प्रचुर साहित्य मिलता है कि उसे एकत्रित किया जाय तो एक वृहत् ग्रन्थ तैयार हो जाय। सूरदासजी की मुरली-विषयक उक्तियाँ कम-से-कम हिंदी-साहित्य में तो बेजोड़ हैं।

 

(कोई गोपी कहती है -) सखी ! श्यामसुन्दर मणिमय आँगन में घुटनों चल रहे हैं और माता-पिता (यशोदाजी और नन्दजी) दोनों (उन्हें) देख रहे हैं। कभी किलकारी मारकर पिताका मुख देखते हैं और कभी माताके मुखकी ओर देखते हैं। सुन्दर ललाटपर लटकन लटक रहा है, भौंह के ऊपर काजलका बिंदु (डिठौना) लगा है, इस शोभाको हम भर नेत्र देखें (देखा ही करें), इसकी उपमा तीनों लोकोंमें नहीं है ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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