श्री तत्त्व चिंतामणि पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Tattva Chintamani Book
इस पुस्तक का नाम है : श्री तत्त्व चिंतामणि | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : नरेन्द्र चंद्र भट्टाचार्य । पुस्तक का प्रकाशन किया है : दिनेश चंद्र गुहा | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 490 MB हैं | पुस्तक में कुल 774 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Shri Tattva Chintamani. This book is written by : Narendra Chandra Bhattacharya. The book is published by : Dinesh Chandra Guha. Approximate size of the PDF file of this book is 490 MB. This book has a total of 774 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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नरेन्द्र चंद्र भट्टाचार्य | भक्ति,धर्म | 490 MB | 774 |
पुस्तक से :
पवञ्च भूमिं प्रथमं चतुरस्त्रां विधाय तामुभयतोऽष्टधा विभजेत् । तत्र च नव पूर्व्वायता नव चोत्तरायता रेखाः कर्त्तव्याः । एवं कृते चतुःषष्टिः पदानि सम्पविभजने आसाञ्च पूर्वी द्यन्ते । मूले चतुःषटिपदं यथेत्यनेनायमेव पदविभागक्रमो दर्शितः । त्तरायतानां रेखाणां संज्ञाः प्रदर्शिता विश्वकर्म्मणा ।
पूर्वादिदिकचतुष्केषु' साद्यन्तपढेष्विमान् । अष्टावष्टौ विभागेन क्रमादीशावधिं सुधीः ॥ यजेदीशानपर्जन्यौ जयन्तं शकभास्करौ । सत्यो वृषान्तरीक्षौ तत्तदग्निपूषणावथ ॥ वितथाश्रमसंज्ञश्च गृहरक्षकसंज्ञकः । गन्धर्वो भृङ्गराजश्व मृगश्च निऋतिस्तथा ॥
ततो भूमिं परीक्षेत पूर्वोदक्प्लवनां शुभाम् । असङ्कटां तथाच्छन्दामल्पतोयां परिप्लुताम् ॥ संपूर्यमाणे खाते तु तथाधिकमृदं शुभाम् ॥ कुसुम्भसदृशं वर्णं यस्यां न ग्लानिमृच्छति । न निर्व्वाति तथा दोपं तोय शीघ्रं न जीर्य्यति ॥
अश्वत्थोडम्बरश्चैव न्यग्रोधः प्लक्ष एव च । तोरणार्थे च कथिताः पूर्व्वादिषु यथाक्रमम् ॥ एकहस्तं न्यसेद् भूमौ चतुर्हस्तं तथोच्छ्रयेत् । तिर्य्य कफलकमानं स्यात् स्तम्भानामर्द्धमानतः ।।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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