शून्य में है परमात्मा - हिन्दी पुस्तक | Shunya Mein Hai Parmatma - Hindi Book PDF

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शून्य में है परमात्मा हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shunya Mein Hai Parmatma Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : शून्य में है परमात्मा | इस पुस्तक के संपादक/लेखक हैं - डॉ चमनलाल गौतम | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : संस्कृति संस्थान, बरेली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 48 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 174 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Shunya Mein Hai Parmatma. This book is written/edited by : Dr. Chamanlal Gautam | The book is published by : Sanskriti Sansthan, Bareilly. Approximate size of the PDF file of this book is 48 MB. This book has a total of 174 pages.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ चमनलाल गौतम  धर्म, अध्यात्म48 MB174



पुस्तक से : 

शून्य का अभिप्राय है — निविचार होना । मन का लय, समर्पण, त्याग और अलगाव ही शून्यता की स्थिति लाता है। वास्तव में मन ही दुःख, अज्ञान, संसान और कर्ता है। उसके शून्य होते ही दुःख गिरता है और ज्ञान प्रकट होता है, संसार छूटता है और आनन्दका उदय होता है। परमात्मा के दर्शन होते हैं। छोटा बच्चा जब तक मन से शून्य रहता है, तब तक वह विलकुल निर्दोष रहता है।

 

मन तभी घूटता है जब आत्मा और मन आमने सामने आ जाएँ आत्मा और मन को आमने-सामने आने का एक ही उपाय है— ध्यान मन ध्यानसे भयभीत रहता है क्योंकि वह जानता है कि ध्यान कालका रूप ग्रहण करके उसके प्राण खींच लेगा और उसका अस्तित्व समाप्त हो जायगा । वास्तवमें ध्यान ही मन की मृत्यु है। ध्यान साधककी तीसरी आँख है और यह तीसरी आँख ही मन के शक्तिशाली केन्द्र को भस्म करने की क्षमता रहती है।

 

परमात्मा कहाँ है ? यह प्रश्न प्रायः किया हो जाता रहा है । वे विद्वान् भी जो जानते हैं कि परमात्मा सर्वत्र है, सर्व व्यापक है, उसके बिना कोई स्थान, कोई वस्तु नहीं है, कभी-कभी सोचने लगते हैं कि वस्तुत: वह है कहाँ ? यदि सर्वत्र है तो प्रत्यक्ष क्यों नहीं होता? और उनके प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं, शायद उनके पास भी नहीं होता।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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