स्वरोदय विज्ञान हिन्दी पुस्तक | Swarodaya Vigyan Hindi Book PDF

                                     

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स्वरोदय विज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Swarodaya Vigyan Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : स्वरोदय विज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित हीरालाल दुग्गर | पुस्तक का प्रकाशन किया है : जैन साहित्य प्रकाशन मंदिर, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 135 MB हैं | पुस्तक में कुल 358 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Swarodaya Vigyan. This book is written by : Pandit Hiralal Duggar. The book is published by : Jain Sahitya Prakashan Mandir, Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is 135 MB. This book has a total of 358 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित हीरालाल दुग्गरयोग,ध्यान,साधना,प्राणायाम135 MB358



पुस्तक से : 

मन तथा पवन की क्रिया और स्थान एक सरीखा है। शरीर के किसी भी भाग पर यदि मन को रोकेंगे तो वहां अवश्य ही पवन का भी खटक-खटक शब्द मालूम होगा। मन को किसी भी भाग पर रोकना अर्थात उपयोग रखकर उस समय उसी भाग पर देखते रहना ऐसा करने से दूसरे किसी भी विचार सम्बन्धी मन की क्रिया मन्द पड़ जाएगी और जिस जगह मन को रोका गया है वहां उपयोग की जागृति होने से अन्य विचार नहीं आते पर उपयोग की जागृति तक मन वहां पर ही रुका रहेगा।

 

इन दस नादों में से नव नादों को सुनते-सुनते जब दसवां नाद सुनाई देने लगे तब नव-नादों को छोड़कर दसवेंको ही सुनते रहने का अभ्यास करे । इसी नादको अनहद नाद कहते हैं। इस नाद की पत्र अवस्था में प्राण वायु और मन दोनों ही लय में हो जायेंगे। इसलिए चतुर साधकोंको चाहिए कि योगानुभवी सद्गुरु की शरण लेकर इस नाद को सुनने का अभ्यास करें।

 

 

इसे ही अजपा-जाप कहा जाता हैं । इसमें मन्त्र का उच्चारण करने की आवश्यकता नहीं होती है । आवश्यकता है तो केवल श्वास के पूरक और रेचक की गति पर ध्यान देने की। जिससे स्वयं मालूम होगा कि “सोऽहं" मन्त्र का जाप अपनेआप ही बिना उच्चारण किए ही हो रहा है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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