तंत्र - महाविज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Tantra Mahavigyan Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : तंत्र - महाविज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : श्रीराम शर्मा आचार्य । पुस्तक का प्रकाशन किया है : संस्कृति संस्थान, बरेली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 12 MB हैं | पुस्तक में कुल 523 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Tantra Mahavigyan. This book is written by : Shri Ram Sharma Acharya. The book is published by : Sanskriti Sansthan, Bareilly. Approximate size of the PDF file of this book is 12 MB. This book has a total of 523 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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श्रीराम शर्मा आचार्य | तंत्र-मंत्र,भक्ति,धर्म | 12 MB | 523 |
पुस्तक से :
डा० भुवनेश्वर नाथ मिश्र माधव के अनुसार प्राचीनता और व्यापकता की दृष्टि से वेदोके बाद तन्त्रो का ही स्थान है। ऐसा कहना अनुचित या अप्रासंगिक नही होगा कि बौद्ध धर्म के बहुत पहलेसे ही इस देशमे तन्त्रों का प्रभाव था। भगवान शंकराचार्य ने जहाँ-जहाँ भी मठ स्थापित किए, वहाँ साधना के मूलाधार के रूप मे तन्त्रो की प्रमुखता अक्षुण्ण है बल्कि ऐसा कह सकते है कि भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक साधनाओ क मूल प्रारण-रूप मे तंत्र अनादि कालसे चले आ रहे है।
मंगोलिया में मन्दिरो की छतों पर नाग देवता चित्र अंकित हैं। मन्दिरी पर भारतीयताकी स्पष्ट छाप है। शिव की जटाओं से निकलने वाली गंगा के प्रति उन लोगों की अटूट श्रद्धा हैं। वे इसे दिव्य नदी मानते हैं और उसके जल को साक्षात् अमृत के समान | उनके पूर्वज भारत आकर गंगा जल ले जाया करते थे और उसकी एक-एक बूंद को वे अपनी चाय में मिला कर पीते थे ।
काठमाडू का पशुपतिनाथ का मन्दिर नेपालियो के लिये वाराणसी के समान है। यहाँ साढ़े तीन फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। अनेकों कथाएं इससे सम्बद्ध हैं। एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने महादेव को कैलाश पर काफी संख्या मे गाये दी थी, तभी से उनका नाम पशुपतिनाथ पडा। पशुपतिनाथ के प्रति नेपालमें अपार श्रद्धा है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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