तारा साधना हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Tara Sadhana Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : तारा साधना | इस पुस्तक के लेखक हैं - श्री योगेश्वरानंद | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 8 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Tara Sadhana. This book is written by : Shri Yogeshwaranand | The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 2 MB. This book has a total of 8 pages.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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श्री योगेश्वरानंद | तंत्र - मंत्र, धार्मिक | 2 MB | 8 |
पुस्तक से :
समुद्र मंथनके समयमें जब कालकूट विष निकला तो बिना किसी क्षोभके उस हलाहल विष को पीने वाले भगवान शिव ही अक्षोभ्य हैं और उनके साथ तारा विराजमान हैं। शिवशक्ति संगम तंत्रमें अक्षोभ्य शब्दका अर्थ महादेव कहा गया है।
वहां बिच में बड़ी प्रतिमा और उसके दोनों ओर छोटी प्रतिमाएं स्थापित है। किवदंतिके अनुसार यही वह स्थल है, जंहा महर्षि वशिष्ठने मां ताराकी उपासना करके सिद्धि प्राप्तकी थी। वास्तवमें भगवती ताराका रहस्य अत्यन्तही चमत्कारपूर्ण है।
जब महर्षि वशिष्ठ चीन देशमें निवास कर रहे भगवान बुद्धके पास पंहुचे और उन्होंने महर्षिको चीनाचार पद्धतिका उपदेश दिया। उसके उपरांत ही वशिष्ठ जीको भगवती ताराकी सिद्धि प्राप्त हुई। भगवती ताराकी उपासना तांत्रिक पद्धतिसे ही सफल होती है।
भगवती तारा मां कालीका ही दूसरा स्वरूप है। मां कालीको नीलरूपा होनेके कारण ही तारा कहा गया है। मां भगवती कालीका यह स्वरूप सर्वदा मोक्ष देने वाला है, जीवको इस संसार सागरसे तारने वाला है इसलिए वह तारा हैं। सहजमें ही वे वाक् प्रदान करने वाली हैं इसलिए वो नीलसरस्वती हैं। भयंकर विपत्तियोंसे अपने साधककी रक्षा करती हैं और इसलिए वे उग्रतारा या उग्रतारिणी हैं।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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