वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी हिन्दी पुस्तक | Vaiyakarana Siddhanta Kaumudi Hindi Book PDF

 

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वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vaiyakarana Siddhanta Kaumudi Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी | इस पुस्तक के लेखक हैं - श्री बालकृष्ण पंचोली | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखम्भा संस्कृत संस्थान, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 195 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 348 पृष्ठ हैं | इस पेज पर आगे "वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.

Name of the book is : Vaiyakarana Siddhanta Kaumudi. This book is written by : Shri Balkrishna Pancholi | The book is published by : Chaukhamba Sanskrit Sansthan, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 195 MB. This book has a total of 348 pages. The download link of the book "Vaiyakarana Siddhanta Kaumudi" has been given further on this page from where you can download it for free.


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श्री बालकृष्ण पंचोली धार्मिक195 MB348


पुस्तक से : 

इन आचार्योंकी व्याकरण विषयक विभिन्न कृतियाँ, उनपर गवेषणात्मक आलोचनाएँ, उनका वर्णन यहाँ लेख विस्तार भयसे असामयिक है। इनपर स्वतन्त्र ग्रन्थ लेखन अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगा।

 

महावैयाकरण वाक्यपदीपकार श्री भर्तृहरिकी उक्तियाँ वैयाकरणगण वेदवत् प्रामाणिक मानते हैं। अन्य विद्वान् भी इनकी कृतिका महान् आदर करते हैं। श्रीहरि कहते हैं कि संसारमें धर्म, अर्थ, कामरूप तीन पुरुषार्थोंको शब्दविद्या साधिका है।

 

देवगुरु बृहस्पतिने इन्द्रके लिए दिव्य वर्ष सहस्र पय्यंन्त प्रतिपदोक्त साधुशब्दोंका पारायण उपदेशार्थं कहा। समर्थ बृहस्पतिजीके समान वक्ता एवं देवराज इन्द्र समान अध्येता तथा समयको बहुलता इन सर्व सामग्री रहनेपर भी शब्द पारायणकी समाप्ति न हुई।

 

 

दर्भसे पवित्र हस्तयुक्त यज्ञ करणार्थ प्रवृत्त प्रमाणभूत आचार्यने प्राची दिशाकी ओर मुख करके पवित्र स्थानमें स्थित होकर महान् यत्नसे सूत्रोंकी रचना की। इनके द्वारा निर्मित सूत्रोंमें एकवर्ण निरर्थक नहीं है। कैमुतिक न्यायसे सूत्र वैयर्थ्यकल्पनाका अत्यन्ताभाव सूचित इस उक्तिसे हुआ। दृष्टफल, अदृष्टफल, कोई भी फल है, सर्वथा निरर्थक कोईभी सूत्र नहीं है। जिस प्रकार से अष्टाध्यायी लिखी गई है। 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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