वृहद् तांत्रिक मुद्रा महाविज्ञान हिन्दी पुस्तक | Vrihad Tantrik Mudra Mahavigyan Hindi Book PDF

                                      

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वृहद् तांत्रिक मुद्रा महाविज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vrihad Tantrik Mudra Mahavigyan Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : वृहद् तांत्रिक मुद्रा महाविज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित राजेश दीक्षित । पुस्तक का प्रकाशन किया है : दीप पब्लिकेशन | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 27 MB हैं | पुस्तक में कुल 235 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Vrihad Tantrik Mudra Mahavigyan. This book is written by : Pandit Rajesh Dixit. The book is published by : Deep Publication. Approximate size of the PDF file of this book is 27 MB. This book has a total of 235 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित राजेश दीक्षिततंत्र-मंत्र,भक्ति,साधना27 MB235



पुस्तक से : 

दाँये हाथ को उल्टा तथा बाँये हाथ को सीधा रख के दोनों की अंगुलियों को आमने-सामने करे। उसके पश्चात् बाँई तर्जनी को दाँई कनिष्ठा से तथा दाँई तर्जनी को बाँई कनिष्ठा से पकड़े। इसी भाँति बाँई मध्यमा तथा अनामिका को दाँये अँगूठे से तथा दाँई मध्यमा और अनामिका को बाँये अंगूठे से बाँध कर सूर्य की ओर देखें। यह सूर्य प्रदर्शनी मुद्रा है। इस मुद्रा को बाँध कर नित्य प्रति प्रातः काल सूर्य को देखने से आँखों की ज्योति में वृद्धि होती है। 

 

बाएं हाथ के अँगूठे को होठ का तथा कनिष्ठा को दाँयें हाथ के अँगूठे का स्पर्श करायें। दाँये हाथ की कनिष्ठा को फैला रहने दें। दाँयें हाथ की शेष तीनों अँगुलियों तर्जनी, मध्यमा तथा अनामा को थोड़ा झुका कर आगे-पीछे चलायमान करें। यह श्री कृष्ण को अत्यधिक प्रिय 'वेणु मुद्रा' है । यह मुद्रा अत्यंत गोपनीय है। इसी का दूसरा नाम 'वंशी मुद्रा' हैं।

 

 

दोनों हाथों को सामने की ओर इस प्रकार रखें कि हथेलियाँ ऊपर रहें। फिर दोनों हाथों की अँगुलियों को मोड़कर मुट्ठियाँ बनालें । उसके उपरांत दोनों अँगूठों को झुका कर परस्पर स्पर्श करायें तथा दोनों हाथों की अँगुलियों को फैला दें। ध्यान रहे अँगूठे की भाँति दोनों कनिष्ठिकाएँ भी एक दूसरी का स्पर्श करती रहें। इसे 'चक्र मुद्रा' कहा जाता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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