यज्ञोपवीत संस्कार विवेचन - श्रीराम शर्मा आचार्य | Yagyopavit Sanskar Vivechan - Shriram Sharma Acharya PDF

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यज्ञोपवीत संस्कार विवेचन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Yagyopavit Sanskar Vivechan Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : यज्ञोपवीत संस्कार विवेचन | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 4 MB है | इस पुस्तक में कुल 28 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "यज्ञोपवीत संस्कार विवेचन" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Yagyopavit Sanskar Vivechan | This book is authored/edited by : Pandit Shriram Sharma Acharya | This book is published by : Yug Nirman Yojana Vistar Trust, Gayatri Tapobhumi, Mathura | PDF file of this book is of size 4 MB approximately. This book has a total of 28 pages. Download link of the book "Yagyopavit Sanskar Vivechan" has been given further on this page from where you can download it for free.


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पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यधर्म, अध्यात्म 4 MB28



पुस्तक से : 

यज्ञोपवीतके धागों में नीति का सारा सार सन्निहित कर दिया गया है। जैसे कागज और स्याही के सहारे किसी नगण्य से पत्र या तुच्छ-सी लगने वाली पुस्तकमें अत्यन्त महत्वपूर्ण ज्ञान-विज्ञान भर दिया जाता है, उसी प्रकार सूत के इन नौ धागोंमें जीवन विकास का सारा मार्गदर्शन समाविष्ट कर दिया गया है।

 

यज्ञोपवीत पहनने का अर्थ है - नैतिकता एवं मानवता के पुण्य कर्तव्योंको अपने कन्धों पर परम पवित्र उत्तरदायित्व के रूप में अनुभव करते रहना ।अपनी गतिविधियों का सारा ढाँचा इस आदर्शवादिता के अनुरूप ही खड़ा करना ।

 

बालक जब थोड़ा समझदार हो जाय और यज्ञोपवीत के आदर्शों को समझने एवं नियमोंको पालने योग्य हो जाय तो उसका उपनयन संस्कार कराना चाहिए। साधारणतया १२ से १३ वर्ष की आयु इसके लिए ठीक है। जिनका तब तक न हुआ हो तो वे कभी भी करा सकते हैं।

 

 

अन्य संस्कारों की भाँति उपनयन संस्कार में भी मण्डप, यज्ञ - वेदी, पूजा - उपकरण आदि सभी वस्तुएँ यथावत एकत्रित एवं सुसज्जित रखनी चाहिए। बालक को क्षौर, स्नान कराके पीले नये शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए। अन्य संस्कारों की भाँति कार्यारम्भ किया जाय।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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