108 उपनिषद - श्रीराम शर्मा आचार्य पीडीऍफ़ | 108 Upanishad - Shriram Sharma Acharya PDF

 


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108 उपनिषद हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about 108 Upanishad Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : 108 उपनिषद | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 19 MB है | इस पुस्तक में कुल 505 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "108 उपनिषद" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : 108 Upanishad | This book is authored/edited by : Vedmurti Taponishth Pandit Shriram Sharma Acharya | This book is published by : Yug Nirman Yojana, Gayatri Tapobhumi, Mathura | PDF file of this book is of size 19 MB approximately. This book has a total of 505 pages. Download link of the book "108 Upanishad" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पं. श्रीराम शर्मा आचार्यभक्ति, धर्म, उपनिषद 19 MB505



पुस्तक से : 

मेरे जीवन में गीताने माँ का स्थान लिया है। वह स्थान तो उसी का है। लेकिन मैं जानता हूँ कि उपनिषद् मेरी माँ की माँ है। उसी श्रद्धा से मेरा उपनिषदोंका मनन, निदिध्यासन पिछले बत्तीस वर्षों से चल रहा है। -आचार्य विनोबा भावे

 

'उपनिषद्' का भाव इसमें 'उप' और 'नि' उपसर्ग हैं। 'सद्' धातु 'गति' के अर्थमें प्रयुक्त होती है। ‘गति' शब्द का उपयोग ज्ञान, गमन और प्राप्ति इन तीन संदर्भोंमें होता है। यहाँ प्राप्ति अर्थ अधिक उपयुक्त है। "उप सामीप्येन, नि नितरां, प्राप्नुवन्ति परंब्रह्म यया विद्यया सा उपनिषद् ।" अर्थात् जिस विद्याके द्वारा परब्रह्मका सामीप्य एवं तादात्म्य प्राप्त किया जाता है, वह उपनिषद् है।

 

वेदान्त दर्शन की महिमा पर मुग्ध होनेवाले विदेशी विद्वानों में सबसे पहले अरबदेशीय विद्वान अलबरूनी थे। वे ११वीं शताब्दी में भारत आये थे। यहाँ आकर उन्होंने संस्कृत भाषा का अध्ययन किया और उपनिषदों की सारस्वरूपा गीता पर वे लट्टू हो गये।

 

 

शहजादा दाराशिकोह द्वारा किए गये फारसी अनुवाद संग्रह में लगभग ५० उपनिषदें शामिल थीं। कोलब्रुक के संग्रह में उपनिषदों की संख्या ५२ थी। जर्मन विद्वान् मैक्समूलरने आचार्य शंकर द्वारा चुनी गयी ११ उपनिषदों के साथ 'मैत्रायणीय' उपनिषद् सहित १२ उपनिषदों का अनुवाद किया था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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