आग की लकीर - अमृता प्रीतम हिन्दी पुस्तक | Aag Ki Lakir - Amrita Pritam Hindi Book PDF


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आग की लकीर हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Aag Ki Lakir Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : आग की लकीर | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : अमृता प्रीतम | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : पंजाबी पुस्तक भंडार, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 138 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "आग की लकीर" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Aag Ki Lakir | This book is written by : Amrita Pritam | This book is published by : Punjabi Pustak Bhandar, Delhi | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 138 pages. Download link of the book "Aag Ki Lakir" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
अमृता प्रीतमउपन्यास2 MB138



पुस्तक से : 

रात को नन्दा के कान चुपचाप दीवारसे लगे हुए थे। पिछवाडे के बगीचे मे डाक्टर मदान एक पेड़ के पास बड़ी देर से खड़े थे। लाज बीबी ने कई बार उनके पास जाकर उनसे खाना खाने के लिए कहा, लेकिन वो खाना खानेके लिए अन्दर नही आएं।

 

माथे के विचारों वाले हिस्से को छोड़कर नन्दा के बाकी शरीर से जैसे जान निकल चुकी थी। उसने दीवान पर पड़े हुए अपने अंगोंको हिलाने का प्रयत्न किया पर अपने अंगों पर उसका बस नही था। कोई अंग नहीं हिला। नन्दा को लगा की शायद काँच के कमरेकी किरचों के साथ उसका सारा लहू बह चुका है।

 

रवि ने घपनी पढ़ाई पूरी करली थी। अब वह डाक्टर बन के अपने पिता के साथ क्लीनिकमें काम करता था। पर वो अभी विवाह के लिए राजी नहीं हो रहा था इसलिए नन्दा रोज उसके साथ मजाक किया करती थी। आज नन्दाका ध्यान इस तरफ नहीं था। वह सिर्फ रविके मुँह पर से भेद पढ़ लेना चाहती थी।

 

 

कमरे मे नन्दा के सिवा कोई नहीं जाता था। उसके कमरेकी चाभी नन्दा के पास ही थी। वो कमरे में नहीं था, लेकिन उसकी किताबें थी, उसकी पेंटिंग भी थीं। नन्दा जैसे पहले कभी किताबोंमें घण्टों के लिए गुम हो जाती थी, उसी तरह कुछ देर फिर आज उन्ही में गुम होने के लिए पिछले बगीचेमें से लाज बीबी के पास से उठकर ऊपरकी मंजिल पर परम के कमरे में चली गई।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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