आल्हा - ऊदल की वीरगाथा हिन्दी पुस्तक | Alha - Udal Ki Veergatha Hindi Book PDF


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आल्हा - ऊदल की वीरगाथा हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Alha - Udal Ki Veergatha Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : आल्हा - ऊदल की वीरगाथा | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : आचार्य मायाराम | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : प्रभात प्रकाशन, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB है | इस पुस्तक में कुल 116 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "आल्हा - ऊदल की वीरगाथा" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Alha - Udal Ki Veergatha | This book is written by : Acharya Mayaram | This book is published by : Prabhat Prakashan, Delhi | PDF file of this book is of size 1 MB approximately. This book has a total of 116 pages. Download link of the book "Alha - Udal Ki Veergatha" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
आचार्य मायारामइतिहास1 MB116



पुस्तक से : 

चंदेली नगर में चंद्रवंशी राजा चंद्रब्रह्म राज्य किया करते थे। वे बड़े धर्मात्मा थे। स्वयं चंद्र देवता ने उन्हें पारसमणि प्रदान की थी। उन्होंने अनेक यज्ञ करके प्रजाका प्रेम और यश प्राप्त किया। बहुत से राजाओं को जीतकर अपने राज्यका विस्तार भी किया।

 

बारहवीं शताब्दी में हुए बावन गढ़ के युद्धोंका भी इसमें प्रत्यक्ष वर्णन है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में इनकी कथाएँ गाँव-गाँव गाई जाती हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ भागों में तो आल्हाको 'रामचरित मानस' से भी अधिक लोकप्रिय है।

 

यह आल्हा कौन हैं, क्या यह देवता है या फिर मनुष्य है? मैंने कहा कि मेरे पिताजी आल्हा की पुस्तक गा-गाकर सारे लोगोंको सुनाया करते थे। फिर मैंने भी अपनी माता, चाची आदि को आल्हा पढ़कर सुनाई। अब तो मैं बस इतना ही बता सकता हूँ कि आल्हा,ऊदल दो वीर राजकुमार थे।

 

 

उन्होंने पुत्री मल्हना का विवाह राजा परिमाल से कर दिया और अपना राज्य वापस ले लिया। मल्हनाको राजा परिमाल बहुत प्रेम करते थे। उसकी हर बात मानी जाती थी। मल्हना को चंदेरी का महल रुचिकर नहीं लगा। उसने इच्छा व्यक्त की कि वह अपने महोबा के महलमें रहना चाहती है। राजा परिमाल ने अपने ससुर और सालों को उरई के महल में जानेका आदेश दिया। परिमाल और रानी मल्हना महोबा में आ गए।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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