बड़े घर की बेटी - प्रेमचंद हिन्दी पुस्तक | Bade Ghar Ki Beti - Premchand Hindi Book PDF


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बड़े घर की बेटी हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bade Ghar Ki Beti Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : बड़े घर की बेटी | इस पुस्तक के लेखक हैं : मुंशी प्रेमचंद | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : शिक्षा भारती | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 187 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "बड़े घर की बेटी" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Bade Ghar Ki Beti | This book is written by : Munshi Premchand | This book is published by : Shiksha Bharati | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 187 pages. Download link of the book "Bade Ghar Ki Beti" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
मुंशी प्रेमचंदकहानी2 MB187



पुस्तक से : 

आपके घरमें अन्याय और हठ का प्रकोप हो रहा है। जिनको बड़ों का आदर-सम्मान करना चाहिए, वे उनके सिर चढ़ते हैं। मैं तो दूसरेका नौकर ठहरा, घर पर रहता नहीं। यहाँ मेरे पीछे स्त्रियों पर खड़ाऊँ और जूतोंकी बौछारें होती हैं।

 

ये सारी पुस्तकें मैंने उसी जमाने में पढ़ीं और रतननाथ सरशार से तो मुझे तृप्ति ही नही होती थी। उनकी सारी रचनाएँ मैंने पढ़ डालीं। उन दिनों मेरे पिता गोरखपुरमें रहते थे और मैं भी गोरखपुर ही के मिशन स्कूलमें पढ़ रहा था, जो तीसरा दरजा कहलाता था।

 

फिर भी उसे यह तसकीन तो थी ही कि अगर वह फटे हाल है तो कमसे कम उसे किसानोंकी तरह जी तोड़ मेहनत तो नहीं करनी पड़ती, और उसकी सरलता और निरीहतासे दूसरे लोग बेजा फायदा तो नहीं उठाते! दोनों आलू निकाल निकालकर जलते-जलते ही खाने लगे।

 

 

भाई के मुँहसे आज ऐसी हृदय विदारक बात सुन कर लालबिहारी को बड़ी ग्लानि हुई। वह फूट-फूट कर रोने लगा। इसमें संदेह नहीं कि अपने किए पर पछता हो रहा था। भाईके आने से एक दिन पहलेसे उसकी छाती धड़कती थी कि देखूँ, भैया क्या कहते हैं? मैं उनके सम्मुख कैसे जाऊँगा, अपनी आँखें उनके सामने कैसे उठाऊंगा? उसने समझा था कि भैया मुझे बुला कर समझा देंगे।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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