ब्रह्माण्ड और ज्योतिष रहस्य हिन्दी पुस्तक | Brahmand Aur Jyotish Rahasya Hindi Book PDF


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ब्रह्माण्ड और ज्योतिष रहस्य हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Brahmand Aur Jyotish Rahasya Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : ब्रह्माण्ड और ज्योतिष रहस्य | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : नंदलाल दशोरा | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : रणधीर प्रकाशन, हरिद्वार | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 214 MB है | इस पुस्तक में कुल 216 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "ब्रह्माण्ड और ज्योतिष रहस्य" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Brahmand Aur Jyotish Rahasya | This book is written/edited by : Nandlal Dashora | This book is published by : Randhir Prakashan, Haridwar | PDF file of this book is of size 214 MB approximately. This book has a total of 216 pages. Download link of the book "Brahmand Aur Jyotish Rahasya" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
नंदलाल दशोराधार्मिक,ज्योतिष214 MB216



पुस्तक से : 

इस पुस्तकमें वर्णित सभी तथ्यों का दिग्दर्शन भारत व पाश्चात्य देशों के प्राचीन ज्योतिर्विज्ञान विषयक प्राप्त सामग्रीकी पृष्ठभूमि में किया गया है। इस पुस्तक में आँकड़ों तथा तथ्यों का बड़े ही सावधानी एवं सतर्कतासे समावेश किया गया है।

 

अभी भी हरिद्वार के पास शान्तिकुंजमें ज्योतिर्विज्ञान के वेघ के लिए भास्कराचार्य द्वारा बताये गये विभिन्न यन्त्रों के समान अनेक यन्त्र बनाये गये हैं जिनसे नियमित कार्य होता है। यहाँ से एक पंचांग भी प्रकाशित होता है जो इन यन्त्रों की सहायतासे तैयार किया जाता है।

 

इसमें जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है वे या तो भारतीय ज्योतिर्विज्ञान के क्षेत्रमें पहले से ही प्रचलित शब्द हैं या फिर शिक्षा मन्त्रालय भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पारिभाषिक शब्द-कोश से लिया गया हैं। सामान्य पाठकों को ध्यान में रखते हुए भाषाको सरल एवं बोधगम्य बनाया गया है।

 

 

भारत में ज्योतिर्विज्ञान के अब तक मिले सभी ग्रन्थों में वेदांग ज्योतिष सबसे पुराना है जिसमें यह स्पष्ट होता है कि उस समय भी लोगो को दिन-रात, मास, ऋतुओं आदि का ज्ञान था। उस काल में भी एक वर्ष में 12 महीने और 360 दिन माने जाते थे। उस समय भी लोगो को चन्द्रमाकी गतियों का पूरा ज्ञान था तथा उसके आरोही व अवरोही संपातों के बारे में भी उनको मालूम था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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