दशकुमारचरित - दण्डी हिन्दी पुस्तक | Dashkumarcharit - Dandin Hindi Book PDF

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दशकुमारचरित हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Dashkumarcharit Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : दशकुमारचरित | इस पुस्तक के लेखक हैं : महाकवि दण्डी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : राजपाल एंड सन्स, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB है | इस पुस्तक में कुल 135 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "दशकुमारचरित" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Dashkumarcharit | This book is written by : Mahakavi Dandin | This book is published by : Rajpal And Sons | PDF file of this book is of size 1 MB approximately. This book has a total of 135 pages. Download link of the book "Dashkumarcharit" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
महाकवि दण्डीग्रंथ,साहित्य1 MB135



पुस्तक से : 

ऐसे ही अनेक स्थल हैं जहाँ आगे-पीछे के बयान मिलते नहीं है। इसीलिए कुछ विद्वान कहते हैं कि दण्डीका लिखा हुआ तो असलमें वह है जो यहां उत्तर पीठिका का भाग है। उपसंहार और पूर्वपीठिका बादमें लिखे गए हैं।

 

चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद उस समय 'दशकुमारचरित' लिखा गया जब उसी के समय के नियम समाज और राज्य में माने जाते थे। वणिक् उस समय भी सशक्त थे और समुद्री व्यापार भी होता था। यदि इसे माना जाए तो इसका समय छठी शती से पहलेका होना चाहिए।

 

दण्डी कब हुए थे इसपर विद्वानों का एकमत नहीं हैं। संस्कृत में दण्डी को ही कवि माना गया है, ऐसी प्रशंसात्मक उक्तियाँ तक मिल जाती हैं। 'काव्यादर्श' नामक ग्रन्थ दण्डी का ही लिखा हुआ माना जाता है। उनका एक और ग्रन्थ बताया जाता है लेकिन उसके बारेमें विद्वान एकमत नहीं हुए हैं।

 

 

इसको पढ़कर पता चलता है कि उस समय का आदमी बड़ा उस्ताद हुआ करता था। प्राचीन भारत में सब कुछ अच्छा ही नहीं था, बल्कि यहाँ काफी बुराइयाँ भी थीं। संस्कृत के आचार्यों ने ऐसे ग्रन्थ को इतना महान कहा, यह बताता है कि उस समय बुराइयोंकी पोल खोलने पर प्रतिबन्ध नहीं था। नाटक में अवश्य कुत्सित दृश्य नहीं दिखाए जाते थे क्योंकि उसमें दर्शक के मन पर सीधे ही बुरा प्रभाव पड़ता था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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