हिन्दी सांख्य दर्शन - पंडित सीताराम शास्त्री पुस्तक | Hindi Sankhya Darshan - Pandit Sitaram Shastri Book PDF

  

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हिन्दी सांख्य दर्शन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Hindi Sankhya Darshan Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : हिन्दी सांख्य दर्शन | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित सीताराम शास्त्री | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 13 MB है | इस पुस्तक में कुल 81 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "हिन्दी सांख्य दर्शन" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Hindi Sankhya Darshan | This book is authored by : Pandit Sitaram Shastri | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 13 MB approximately. This book has a total of 81 pages. Download link of the book "Hindi Sankhya Darshan" has been given further on this page from where you can download it for free.


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पंडित सीताराम शास्त्रीधर्म13 MB81



पुस्तक से : 

१० रागों के द्वेष और आठ सिद्धियों के द्वेष मिल कर कुल १८ द्वेष होते हैं। अर्थात् दिव्य अदिव्य भेद से १० प्रकार के शब्द आदि विषय परस्पर से उपहत होकर द्वेषके विषय होते हैं या इन पर द्वेष होता है। इस प्रकार से द्वेष ९० प्रकार के होते है। 

 

यही इन दोनों का मतभेद है, कोई कहते हैं पूर्व सांख्य का प्रकृति और पुरुषके विवेक में ही तात्पर्य है, किन्तु ईश्वर के खण्डन में नहीं, इसी से उतने को हो दिखाया है, यह ठीक भी है। क्योंकि वैदिक पुरुषका निरीश्वरवादी होना संभव नहीं है।

 

जैसे नील वस्त्रमें उसके कारण नील तंतुओं से ही नील रूप की अनुवृत्ति होती है, अतः महत् आदि कार्यों में गुणों की अनुवृत्ति के अर्थ उनका कोई कारण होना चाहिये। इस रीतिसे उनका कारण सिद्ध होता है, वही अव्यक्त है। गौतम और कणाद मुनि मानते हैं कि परमाणु व्यक्त हैं।

 

 

इस काल तत्व के संबन्ध में दो मत हैं। पहला, कुछ विद्वान् मानते हैं कि यह पुरुष का ही प्रभाव है, जिससे अज्ञानी मनुष्यको भय होता है। तथा दूसरा सिद्धान्त मत यह है कि यह भगवान् ही काल रूपमें प्रतीत होता है, जिस के सम्बन्ध से गुणोंके साम्यरूप प्रधान में भी चेष्टा हो जाती है, तथा वही भगवान् शरीरों के भीतर पुरुष रूप से है, जबकि बाहर से वही कालरूप प्रतीत होता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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