ईशादि नौ उपनिषद् हिन्दी पुस्तक | Ishadi Nau Upanishad Hindi Book PDF

 

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ईशादि नौ उपनिषद् हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Ishadi Nau Upanishad Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : ईशादि नौ उपनिषद् | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : हरिकृष्ण दास गोयन्दका | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीताप्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 547 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "ईशादि नौ उपनिषद्" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Ishadi Nau Upanishad | This book is authored by : Harikrishna Das Goyandaka | This book is published by : Gitapress, Gorakhpur | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 547 pages. Download link of the book "Ishadi Nau Upanishad" has been given further on this page from where you can download it for free.


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हरिकृष्ण दास गोयन्दकाधार्मिक2 MB547



पुस्तक से : 

वेदोंका अन्तिम भाग होनेके कारण इनको वेदान्तके नामसे पुकारा जाता है। इन उपनिषदोंपर प्रधान सम्प्रदायोंके पूज्यपाद आचार्योंने अपने-अपने मतके अनुसार भाष्य लिखे हैं तथा संस्कृत और हिंदी भाषामें भी महानुभाव पण्डितोंने टीकाएँ लिखी है।

 

बृहदारण्यक और छान्दोग्य ये दो उपनिषदोंका कलेवर बहुत बड़ा है और उनमें विषय अत्यन्त कठिन हैं। इस कारण उन विषयों को समझाना मुझ जैसे अल्पज्ञ मनुष्यकी योग्यताके बाहरकी बात है, यह सोचकर उन दोनोंको छोड़कर शेष उपनिषदोंपर यह व्याख्या लिखी गयी।

 

जो केवल विषयोंकी प्राप्ति और उनके यथेच्छ उपभोगमें ही लगे रहते हैं, वे वस्तुतः आत्माकी हत्या करनेवाले ही हैं। इस प्रकार अपना पतन करनेवाले वे लोग अपने जीवनको केवल व्यर्थ ही नहीं खो रहे हैं बल्कि अपनेको और भी अधिक कर्मबन्धनमें जकड़ जाते हैं।

 

 

इसका कोई भी अंश उनसे रहित नहीं है। ईश्वरको निरन्तर अपने साथ रखते हुए सर्वदा उनका स्मरण करते हुए ही तुम इस जगत्में आसक्तिका त्याग करके केवल कर्तव्य पालनके लिये ही विषयोंका यथाविधि उपभोग करो। विषयोंमें मन को मत फँसने दो। इस में निश्चित ही तुम्हारा कल्याण है। ये भोग्य-पदार्थ किसीके भी नहीं हैं। मनुष्य भूलसे ही इनमें ममता और आसक्ति कर बैठता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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