जातक कथा हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Jatak Katha Hindi Book PDF


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जातक कथा हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Jatak Katha Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : जातक कथा | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : सुशील कुमार | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : सस्ता साहित्य मंडल, नई दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 6 MB है | इस पुस्तक में कुल 218 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "जातक कथा" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Jatak Katha | This book is written by : Sushil Kumar | This book is published by : Sasta Sahitya Mandal, New Delhi | PDF file of this book is of size 6 MB approximately. This book has a total of 218 pages. Download link of the book "Jatak Katha" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
सुशील कुमारकहानी6 MB218



पुस्तक से : 

प्रसिद्ध पंचतन्त्र की अधिकांश कथाओंका मूल जातक में ही है। बौद्ध कथाएँ जहाँ जन-साहित्य हैं और उनका मुख्य उद्देश्य जन-साधारण का शिक्षण ही रहा है, वहाँ पञ्चतन्त्र के रचयिता ने उन कथाओका उपयोग केवल राजकुमारों को शिक्षित करने के लिए किया।

 

जातक शब्द का अर्थ है जन्म सम्बन्धी। विकासवाद के अनुसार एक फूलको विकसित होने के लिए, उस पुष्पकी जाति विशेष के अस्तित्व में आनेमें लाखों वर्ष लग जाते हैं। तब क्या कोई भी प्राणी साठ-सत्तर के जीवनमें बुद्ध बन सकता है ? उसे इसकी पूर्ति के लिए अनेक जन्म धारण करने ही होंगे।

 

संस्कृत बौद्ध साहित्य में जातक-माला नाम का एक ग्रंथ है, जिसके रचयिता शूरजी हैं। तारानाथ ने श्रार्यशूर और महाकवि अश्वघोष को एक ही कहा है। लेकिन यह ठीक नहीं है। आर्यशूर की जातक माला में कुल मिलाकर ३४ जातक हैं। इसी प्रकार श्री ईशानचन्द्र के अनुसार महावस्तु नामक ग्रंथमें करीबन ८० कथाएँ हैं।

 

 

जब यह कहा जाता है कि भारत का साहित्य परलोक चिन्तामय है, उसको इहलोककी चिन्ता नहीं है, तो उसे अपनी प्रशंसा समझते हैं। किसी भी जाति का काम केवल परलोक परक होने से नहीं चल सकता। भगवान् बुद्ध ने इहलोक और परलोक चिन्ता दोनो में समत्व स्थापित किया था। इसी कारण से जातक कथाओंको बौद्ध वाङ्मय में महत्वपूर्ण स्थान मिला और उनका विकास भी हुआ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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