जीवन की शुरुआत कैसे हुई हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Jeevan Ki Shuruaat Kaise Hui Hindi Book PDF


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जीवन की शुरुआत कैसे हुई हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Jeevan Ki Shuruaat Kaise Hui Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : जीवन की शुरुआत कैसे हुई | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : मैकडोनल्ड्स | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 15 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "जीवन की शुरुआत कैसे हुई" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Jeevan Ki Shuruaat Kaise Hui | This book is written by : Macdonalds | This book is published by : Unknown | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 15 pages. Download link of the book "Jeevan Ki Shuruaat Kaise Hui" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
मैकडोनल्ड्ससामाजिक2 MB15



पुस्तक से : 

बहुत समय पहले न तो ग्रह थे और न ही सूर्य था। कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि तब सिर्फ बहुत गर्म गैस थी। फिर बादमें वो गैस ठंडी हो गई। उससे सूर्य और उसके ग्रहों जैसे ठोस पिंडोंका निर्माण हुआ। पृथ्वी उनही ग्रहों में एक है।

 

भिन्न भिन्न जीव पृथ्वी पर अलग-अलग समय पर रहते थे। ये जानवर करीबन पचास करोड़ वर्ष पहले समुद्रमें निवास किया करते थे। तब तक समुद्र में बहुत से जीव थे। ट्राइलोबाइट्स समुद्र तल पर रेंगा करते थे। हमला होने पर वे गेंद जैसे गोल आकारमें बदल जाते थे।

 

पहले तो पृथ्वीके किसी भी भाग पर कोई भी जीवन नहीं था। पृथ्वी अत्यधिक गर्म थी। वहां पर समुद्र बेहद तूफानी थे। सबसे पहली जीवित चीजें समुद्रमें ही पैदा हुई थी। वे अत्यंत छोटी जीवित कोशिकाएँ थीं। यहाँ कुछ सरल कोशिकाएँ दिखाई गई हैं जो आज भी जीवित हैं।

 

 

ये जानवर आज के मेंढकों की तरह ही उस समय जमीन पर और पानी दोनों जगहों पर रह सकते थे। उन्हें उभयचर या एम्फीबियन कहा जाता था। उभयचर जीव अपने अंडे पानीके अंदर ही देते हैं। उनके अंडे जेलीसे ढके होते हैं, लेकिन इनमें कोई खोल नहीं होता है। सरीसृप कठोर खोल वाले अंडे देते हैं। उनमें से अधिकतर जमीन पर ही रहते हैं तो वही कुछ नदियों और समुद्रमें भी रहते हैं।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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