ज्योतिष तत्त्व सुधार्णव हिन्दी पुस्तक | Jyotish Tattva Sudharnav Hindi Book PDF


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ज्योतिष तत्त्व सुधार्णव हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Jyotish Tattva Sudharnav Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : ज्योतिष तत्त्व सुधार्णव | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित श्यामसुंदर लाल शर्मा | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : खेमराज प्रकाशन | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 325 MB है | इस पुस्तक में कुल 511 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "ज्योतिष तत्त्व सुधार्णव" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Jyotish Tattva Sudharnav | This book is written/edited by : Pandit Shyamsundar Lal Sharma | This book is published by : Khemraj Prakashan | PDF file of this book is of size 325 MB approximately. This book has a total of 511 pages. Download link of the book "Jyotish Tattva Sudharnav" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित श्यामसुंदर लाल शर्माज्योतिष325 MB511



पुस्तक से : 

राशीनां दिग्बलमाह नरास्त्विति। लग्नगता मिथुनतुलाघटकन्याधनुः पूर्वार्द्धा नरराशय पूर्वदिग्बलिनः यतो राशीनामुदयो लग्नमुदयश्च पूर्व एव भवति। लग्नाच्चतुर्थस्था मीनकर्क टमकर परार्द्धा जलराशयः उत्तरदिग्बलिनः यस्माच्चक्र भ्रमणक्रमेण।

 

मिथुन, तुला, कन्या, धन, वृश्चिक और कुम्भ इन छह राशियों को ग्राम्य राशि कहा जाता हैं और रात्रि में वृष और मेषको ग्राम्य राशि कहा गया है मकर के प्रथमार्द्ध और सिंह को बन्यराशि कहते हैं और दिनमें मेष और वृषको वन्य राशि कहा है। मकरके शेषार्द्धको जलन राशि कहते हैं।

 

अपने हाथ अपने मलें तो कोई आनन्द नहीं होता अपितु पीड़ा होती है। इसी प्रकारसे अपने मुख अपनी प्रशंसा करनेवाले की प्रतिष्ठा नहीं होती है। इसे लिखने से हमारा यह प्रयोजन है कि, मैं अपने मुखसे अपने ग्रन्थकी प्रशंसा नहीं करता। जैसा भी यह ग्रन्थ है आपके सम्मुख है, देख लीजिये।

 

 

आप सेठ श्री कृष्णदास खेमराजजी को यह ज्योतिष तत्त्वसुधाणर्व नामक ग्रन्थ समर्पित करना। यह ग्रन्थ हमारे सेठजी के ही योग्य है। उक्त पंडित जी के अनुसार मैं इस ग्रन्थके पूर्ण करनेको उद्यत हुआ किन्तु कार्यमें प्रवृत्त होने के उपरान्त अनेक विघ्न उत्पन्न हुए जिनसे ग्रन्थ पूर्णहोनेकी संभावना कम थी। दिनमें मिथुन, तुला, कुम्भ और धनका पूर्वार्द्ध यह सब राशि बलवान् होती हैं। 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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