ज्योतिष तत्त्व प्रकाश हिन्दी पुस्तक पीडीऍफ़ | Jyotish Tatva Prakash Hindi Book PDF

 

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ज्योतिष तत्त्व प्रकाश हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Jyotish Tatva Prakash Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : ज्योतिष तत्त्व प्रकाश | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित लक्ष्मीकांत कन्याल | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : रंजन पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 72 MB है | इस पुस्तक में कुल 811 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "ज्योतिष तत्त्व प्रकाश" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Jyotish Tatva Prakash | This book is authored/edited by : Pandit Laxmikant Kanyal | This book is published by : Ranjan Publications, New Delhi | PDF file of this book is of size 72 MB approximately. This book has a total of 811 pages. Download link of the book "Jyotish Tatva Prakash" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित लक्ष्मीकान्त कन्यालज्योतिष, धर्म72 MB811



पुस्तक से : 

मनुष्यका भविष्य, विधाता की भांति उसके लिए अज्ञेय रहा है । मनुष्य अपने भविष्य के प्रति जिज्ञासु भी रहा है और भयभीत भी. इस समस्या के समाधान के लिए उसने अपनी दृष्टि नीले अनन्त अन्तरिक्ष की ओर उठाई और सतत साधना के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि हजारों-लाखों मील दूर भ्रमण कर रहे, ग्रह-उपग्रह उसके जीवनको प्रभावित करते हैं।

 

वृक्ष पर लगे फल पर सबकी दृष्टि जाती है, किन्तु धरती के गर्भमें छिपे रत्न को निकालना और समाज के सामने ले आना श्रमसाध्य तो है ही, सराहनीय भी है। पूज्य पिताजीकी इस अमर किन्तु विस्मृत ज्योतिष कृति के प्रकाशन का श्रेय श्री मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन संस्थान की गुणग्राहकता को है.

 

ज्योतिषशास्त्र एक विज्ञान है। वह एक प्रत्यक्ष विज्ञान है - इसमें विवाद नहीं; क्योंकि ज्योतिष का आधार गणित है। ग्रहों और उपग्रहोंकी गति एवं स्थितिकी गणना करके ज्योतिषी जो निष्कर्ष निकालता है, वह शत - प्रतिशत सही होते हैं। ज्योतिष पिण्ड और ब्रह्माण्डकी एकता सिद्ध करता है। सृष्टिमें मनुष्य को उसकी तुच्छ स्थिति और अज्ञेय नियति के प्रति सावधान करता है.

 

 

शायद ही ऐसा कोई युग रहा हो जब ज्योतिषशास्त्र की समाजमें कोई न कोई प्रतिष्ठान रही हो । आज भी समाजमें ज्योतिष चर्चा, आलोचना एवं आदर का विषय है। अल्पज्ञ, स्वार्थी और अनुभवहीन ज्योतिषियों के सुप्रचारित वर्ग ने इस शास्त्रको अपमान और आलोचना का कारण बनाया है, किन्तु आज भी समाज का प्रबुद्ध वर्ग ज्योतिषका आदर करता है और सही रत्नको पहचानने वाले जौहरी भी विद्यमान हैं।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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