कंकाल - उपन्यास - प्रेमचंद हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Kankal - Novel - Premchand Hindi Book PDF


Kankal-Novel-Premchand-Hindi-Book-PDF


कंकाल हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kankal Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : कंकाल | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : मुंशी प्रेमचन्द | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : साई ईपब्लिकेशंस | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 187 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "कंकाल" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Kankal | This book is written by : Munshi Premchand | This book is published by : Sai ePublications | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 187 pages. Download link of the book "Kankal" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
मुंशी प्रेमचंदउपन्यास2 MB187



पुस्तक से : 

निरंजन गंगा की धाराकी ओर मुँह किये ध्यान में निमग्न है। यहाँ रहते हुए कई दिन बीत गये थे, आसन और दृढ़ धारणा से अपने मनको संयम में ले आने का प्रयत्न लगातार करते हुए भी शांति नहीं लौटी। विक्षेप बराबर होता था।

 

एक विशिष्ट आसन पर बीस वर्ष का एक युवक हलके रंग का काषाय वस्त्र पहने बैठा था। जटाजूट नहीं था, कंधे तक बाल बिखरे हुए थे। आँखें संयम के मदसे भरी थीं। पुष्ट भुजाएँ और तेजोमय मुख-मण्डल से आकृति बड़ी प्रभावशालिनी थी।

 

दूर सामने दिखने वाली कलिन्दजा की गतिका अनुकरण करने के लिए वह मन को उत्साह दिलाता। गंभीर अर्द्धनिशीथ के नक्षत्र बाल-काल की स्मृति के सदृश मानस-पटल पर चमक उठते थे। आकाश में जैसे अतीतकी घटनाएँ रजताक्षरों से लिखी हुई उसे दिखाई पड़ने लगीं।

 

 

विद्वत्ता ने जितने तर्क जगतको मिथ्या प्रमाणित करने के लिए किए थे, उन्होंने उग्र रूप धारण कर लिया। वे अब समझते थे कि जगत् और इसके सारे कर्म माया हैं। प्रमाता जीव भी प्रकृति है, क्योंकि वह भी अपरा प्रकृति है। विश्व मात्र प्राकृत है। यही खेल यदि जगत् बनाने वालेका है, तो मुझे भी इसे खेलना ही चाहिए। वास्तव में मैं गृहस्थ न होकर भी वहीं सब करता हूँ जो एक संसारी करता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

"कंकाल - उपन्यास - प्रेमचंद" हिन्दी पुस्तक को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Kankal - Novel - Premchand" Hindi book in just single click for free, simply click on the download button provided below.


Download PDF (2 MB)


If you like the book, we recommend you to buy it from the original publisher/owner.



यदि इस पुस्तक के विवरण में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से संबंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उस सम्बन्ध में हमें यहाँ सूचित कर सकते हैं