कुलार्णव तन्त्र हिन्दी पुस्तक | Kularnav Tantra Hindi Book PDF


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कुलार्णव तन्त्र हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kularnav Tantra Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : कुलार्णव तन्त्र | इस पुस्तक के संपादक हैं : श्री रामशैव आश्रम, श्रीनगर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : श्री रामशैव आश्रम, श्रीनगर | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 9 MB है | इस पुस्तक में कुल 52 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "कुलार्णव तन्त्र" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Kularnav Tantra | This book is composed by : Shri Ram Shaiva Ashram, Shrinagar | This book is published by : Shri Ram Shaiva Ashram, Shrinagar | PDF file of this book is of size 9 MB approximately. This book has a total of 52 pages. Download link of the book "Kularnav Tantra" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्री रामशैव आश्रमधार्मिक9 MB52



पुस्तक से : 

यह जीव सुख देने वाले पुण्य कर्मो और दुःख देने वाले पाप कर्मोसे बद्ध होकर उन्ही कर्मों के अनुसार जाति युक्त शरीर, आयु और कर्मोसे उत्पन्न हुए भोग को हर जन्म में प्राप्त करते हैं जिनका कोई अन्त ही नहीं। उन का सूक्ष्म शरीर जीवभाव से लेकर मुक्त होने तक बना ही रहता है।

 

इस प्रकार हजारों हजार जन्म पानेके बाद जब जीव के पुण्यकर्म बढ़ जाए तो वह मनुष्य शरीर प्राप्त करता है। अर्थात् मनुष्ययोनि में जन्म लेना ही बड़ा दुर्लभ है। मुक्ति के लिए सीढ़ी बने हुए इस दुर्लभ मनुष्य जन्मको पाकर भी पुरुष इस संसार सागरसे पार उतरने का यत्न नहीं करता।

 

देवी ने कहा, हे भगवन्! हे क्रीडन शील देव! हे सभी ब्रह्मा आदि देवताओं के स्वामी! इस तुच्छ कठिन संसारमें अनेक प्रकार के दुखों से पीड़ित तथा अनेक प्रकार के शरीरों में ठहरे हुए अनन्त जीवों के समूह जन्म लेते हैं और मरते भी हैं, उनके जन्मों और मृत्युओका कोई अन्त नहीं दीखता।

 

 

इन दो उल्लासोको समझ कर इस पर चलना साधारण जनों के लिए अत्युपयोगी और अत्यावश्यक है। इन के पढ़ने से उसे चाहे वह किसी मार्ग का अनुसरण करता हो, पता लगता है कि मोक्षप्राप्ति के लिए किसी कष्ट प्रद तपस्या अथवा गृहस्थ त्यागकी आवश्यकता नहीं, बल्कि ज्ञान से ही मुक्ति की प्राप्ति सुलभ हो जाती है। बाकी उल्लास तो किसी किसी विशेष मार्ग पर चलने वालों के लिये हैं।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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