मन के हारे हार है मन के जीते जीत - श्रीराम शर्मा आचार्य | Man ke Haare Haar Hai Man ke Jeete Jeet - Shriram Sharma Acharya PDF

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मन के हारे हार है मन के जीते जीत हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Man ke Haare Haar Hai Man ke Jeete Jeet Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : मन के हारे हार है मन के जीते जीत | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 5 MB है | इस पुस्तक में कुल 65 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "मन के हारे हार है मन के जीते जीत" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Man ke Haare Haar Hai Man ke Jeete Jeet | This book is authored/edited by : Pandit Shriram Sharma Acharya | This book is published by : Yug Nirman Yojana, Gayatri Tapobhumi, Mathura | PDF file of this book is of size 5 MB approximately. This book has a total of 65 pages. Download link of the book "Man ke Haare Haar Hai Man ke Jeete Jeet" has been given further on this page from where you can download it for free.


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श्रीराम शर्मा आचार्यप्रेरक, मनोविज्ञान 5 MB65



पुस्तक से : 

मस्तिष्क मानवी-सत्ता का ध्रुवकेंद्र है। उसकी शक्ति असीम है। इस शक्तिका सही उपयोग कर सकना यदि संभव हो सके, तो मनुष्य अभीष्ट प्रगति पथ पर बढ़ता ही चला जाता है। मस्तिष्कके - उत्पादन इतने चमत्कारी हैं कि इनके सहारे भौतिक ऋद्धियोंमें से बहुत कुछ उपलब्ध हो सकता है।

 

महर्षि अष्टावक्र 8 जगह से कुबड़े थे, चाणक्यको अति कुरूप कहा जाता है। सुकरातकी कुरूपता भी प्रख्यात है। आद्य शंकराचार्य भगंदरके फोड़े से ग्रसित थे। सूरदास अंधे थे. कुमारी केलर गूँगी, बहरी और अंधी होते हुए भी अनेक भाषाओं और विषयोंकी स्नातक थी। ऐसे असंख्य प्रसंग हैं, जिनमें अस्पतालों के बिस्तरों पर पड़े-पड़े लोगों ने महान कृतियाँ तैयार की हैं।

 

मस्तिष्क का बहुमूल्य यंत्र तभी ठीक तरह काम कर सकता है, जब उसे शांतिमय वातावरणमें, एयर कंडीशन कमरों जितने तापमानमें काम करने दिया जाए। मर्यादा से अधिक गरम रहने पर इंजन, मोटर या अन्य मशीनें अपना काम करना बंद कर देती हैं। ठीक यही स्थिति मस्तिष्ककी है।

 

 

मस्तिष्क जितना शक्तिशाली है, उतना ही कोमल भी है। उसकी सुरक्षा और सक्रियता बनाए रहने के लिए यह आवश्यक है कि अनावश्यक गर्मीसे बचाए रखा जाए। पेंसिलिन आदि कुछ ओषधियाँ ऐसी हैं, जिन्हें कैमिस्टोंके यहाँ ठंढे वातावरणमें, रेफ्रीजरेटरों में सँभालकर रखा जाता है। गरमी लगने पर वे बहुत जल्दी खराब हो जाती हैं।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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