मुण्डमाला तंत्रम हिन्दी पुस्तक पीडीऍफ़ | Mundmala Tantram Hindi Book PDF

 


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मुण्डमाला तंत्रम हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Mundmala Tantram Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : मुण्डमाला तंत्रम | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : प्रदीप कुमार राय | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : प्राच्य प्रकाशन, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 47 MB है | इस पुस्तक में कुल 236 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "मुण्डमाला तंत्रम" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Mundmala Tantram | This book is authored/edited by : Pradeep Kumar Rai | This book is published by : Prachya Prakashan, Varanasi | PDF file of this book is of size 47 MB approximately. This book has a total of 236 pages. Download link of the book "Mundmala Tantram" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
प्रदीप कुमार रायधर्म, मंत्र-तंत्र 47 MB236



पुस्तक से : 

जगत् स्वामिन प्रभो गुप्तदक्षकी अव्यर्थ इच्छा से मुण्डमालातन्त्र का नवीन संस्करण प्राच्य प्रकाशन, वाराणसी से प्रकाशित हो रहा है। यह तन्त्रशास्त्र का एक प्रमाणिक तन्वग्रन्थ है. सर्वप्रथम प्रकाशित मुण्डमालातन्त्रमें प्रथम पटल से दशम पटल तक ही प्रकाशित हुआ था। बाद में रसिक मोहनजी ने एक मुण्डमाला तन्त्रको प्रकाशित किया।

 

इस ग्रन्थ के एकादश पटल से पञ्चदश पटल में क्रमशः सप्तम, अष्टम तथा नवम पटल के श्लोकों का साम्य है। इसलिए उनका अनुवाद नहीं दिया गया है। घोडश पटल से ऊनविश पटल का प्रकाशन पहले नहीं हुआ था। इसलिए उनका प्रकाशन किया गया है।

 

महाविद्या मातङ्गी त्रैलोक्य को वशीभूत करती हैं। कमला तीन प्रकार की कही गयीं हैं। किन्तु (वह) एकाक्षर बुद्धि के द्वारा अवस्थिता हैं अर्थात् लोक उन्हें एकाक्षरी मानता है। केवला महाविद्या कमला महासम्पद्दायिनी हैं एवं वहां सुख तथा मोक्षप्रदा हैं ।।

 

 

जो माला मेरुहीना है अथवा जो माला मेरुलङ्किता है, अथवा जो माला अशुद्ध एवं अतिप्रकाश है अर्थात् जो अनेक लोगों के निकट प्रदर्शिता है, वह निष्फल होती है ।। जो चित्रिणी नाड़ी मृणालतन्तुके समान आभायुक्त है, वह ब्रह्मनाड़ीके मध्य में से होकर गयी है। उसके द्वारा अक्षमाला ग्रथित है ऐसा ध्यान करने पर, वह सर्वकामफलप्रदा हो जाती है.

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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