पंचयज्ञ प्रकाश - समर्पणानंद सरस्वती हिन्दी पुस्तक | Pancha Yagya Prakash - Samarpananand Saraswati Hindi Book PDF


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पंचयज्ञ प्रकाश हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Pancha Yagya Prakash Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : पंचयज्ञ प्रकाश | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : स्वामी समर्पणानंद सरस्वती | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : समर्पण शोध संस्थान, गाजियाबाद | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 46 MB है | इस पुस्तक में कुल 192 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "पंचयज्ञ प्रकाश" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Pancha Yagya Prakash | This book is written/edited by : Swami Samarpananand Saraswati | This book is published by : Samarpan Shodh Sansthan, Gajiyabad | PDF file of this book is of size 46 MB approximately. This book has a total of 192 pages. Download link of the book "Pancha Yagya Prakash" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
स्वामी समर्पणानंद सरस्वतीधार्मिक46 MB192



पुस्तक से : 

कुछ वृत्तियाँ ऐसी हैं जो प्राणिमात्र को आगे लेकर जाती हैं। जैसे की आहार, निद्रा, भय और मैथुन ये ऐसी वृत्तियाँ हैं जो मनुष्यको धक्का देती हैं। जब एक प्राणीको भूख हैं तो प्राणी आहार की ओर भागता है। भय उपस्थित होने पर हर प्राणी परित्राण क्षेत्रकी ओर भागता है। 

 

धर्म का अनुष्ठान करने में यदि कभी कोई पीड़ा भी हो तो भी धर्मयुक्त पुरुषार्थको कभी न छोड़ें।  शरीर और आत्मा की रक्षा के लिए युक्त आहार-विहार, औषध सेवन, सुपथ्य आदि से निरन्तर उद्योग करके व्यावहारिक और पारमार्थिक कर्मकी सिद्धि के लिए ईश्वर की स्तुति और उपासना भी करें।

 

यज्ञ की अग्नि का प्रभुत्व को अपने आधीन करना ही मनुष्य का देवत्वकी ओर विकास है। यह सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, आदि देवता भी मुख्य रूप से देना ही सीखे हैं, इसलिए इन्हे देव कहते हैं। परमदेव देवाधिदेव महादेव उस भगवान् से शिक्षा पाए हुए इन देवताओं की संगतिमें बैठकर हमें भी दान करना सीखना है। 

 

 

परन्तु इन दोनों में विस्मरण हैं। एक प्रकार से कहे तो अपरिगणन शक्ति है। एक मां तथा बालक एक दूसरे के दोषोंको भूल जाते हैं, ऐसा कहने से ज्यादा सही यह कहना होगा कि वे दोनों एक दूसरे के अपराधोंको भूलना तो दूर की बात, गिनती में लाने योग्य भी नहीं समझते। ऐसा नहीं है कि उनको इन अपराधों का बोध नहीं। अतः जानते हुए भी भूलने की शक्तिका नाम भग देवता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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