सामुद्रिक शास्त्र या भाग्य निर्णय हिन्दी पुस्तक पीडीएफ | Samudrik Shastra Ya Bhagya Nirnay Hindi Book PDF



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सामुद्रिक शास्त्र या भाग्य निर्णय हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Samudrik Shastra Ya Bhagya Nirnay Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : सामुद्रिक शास्त्र या भाग्य निर्णय | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : छोटेलाल जैन | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : जैन साहित्य मंदिर, सागर | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 76 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "सामुद्रिक शास्त्र या भाग्य निर्णय" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Samudrik Shastra Ya Bhagya Nirnay | This book is written/edited by : Chhotelal Jain | This book is published by : Jain Sahitya Mandir, Sagar | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 76 pages. Download link of the book "Samudrik Shastra Ya Bhagya Nirnay" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
छोटेलाल जैनज्योतिष, धर्म2 MB76



पुस्तक से : 

सभी अँगुली के पाद देश में करतल के मध्यमें जो ऊँचा-सा स्थान दिखाई पड़ता है उसे उस अंगुली के अधिष्ठाता ग्रह का शिखास्थान कहते हैं। इसे पहले ही शुक्र कहा जा चुका है। यदि शुक्रका पितृरेखा और अँगूठे के मूल का भाग स्वच्छ और सुन्दर दिखाई दे।

 

बृहस्पति के शिखा स्थानमें यदि एक या दो क्रॉस चिन्ह दिखाई पड़ें तो मनुष्य आधिपत्य एवं विवाहसे धनी होता है। यदि इस ग्रह बृहस्पति के शिखा स्थान में एक नक्षत्र चिन्ह हो तो अपयश, अनादरको प्राप्त होता है। यदि यही पर दो नक्षत्र चिन्ह हों तो इसका विपरीत फल प्राप्त होता है। 

 

तीस वर्ष की आयु बीत जाने के पश्चात यदि शनि के शिखा स्थान में दो आसामान्य रेखाएँ दिखाई पड़ें तो निश्चित ही यह समझ लेना चाहिए कि उसपर पर किसी द्वारा आघातका मिथ्याआरोप लगाया जायगा। ऐसे लोगोंको भागकर दूसरे देशमें आश्रय लेना चाहिए। इसके अलावा कोई उपाय नहीं है। 

 

 

यदि अनामिका के पहले भाग में कतिपय सरल और समान्तर रेखाएँ हों तो मनुष्य सत् स्वभाव का होता है। वह व्यक्ति अपने श्रम और बुद्धि बलसे बड़ा धनशाली होता है। यदि ये रेखाएँ प्रथम भाग में न होकर अनामिका के अन्य भाग में हों तो मनुष्य अपने गुणों के कारण समाजमें आदरणीय और सम्माननीय होता है। तथापि वह हमेशा दारिद्रता से पीड़ित बना रहता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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