सन्धि चंद्रिका हिन्दी पुस्तक | Sandhi Chandrika Hindi Book PDF


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सन्धि चंद्रिका हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sandhi Chandrika Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : सन्धि चंद्रिका | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित श्री रामचंद्र झा | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखंबा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 10 MB है | इस पुस्तक में कुल 80 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "सन्धि चंद्रिका" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Sandhi Chandrika | This book is written/edited by : Pandit Shri Ramchandra Jha | This book is published by : Chaukhamba Sanskrit Series Office, Varanasi | PDF file of this book is of size 10 MB approximately. This book has a total of 80 pages. Download link of the book "Sandhi Chandrika" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित श्री रामचंद्र झाभाषा10 MB80



पुस्तक से : 

भारतीय पुरातत्वके विषय में पूर्ण ज्ञानके लिए संस्कृत ही एकमात्र अनन्य साधारण साधन है। यह अत्यंत ही संतोष और प्रमोदका विषय है कि संस्कृत शिक्षा पद्धतिके सुधारकी ओर स्वतन्त्र भारत की सरकारका ध्यान आकृष्ट हुआ है और अनुदिन हो रहा है।

 

जिन वर्णोका उच्चारण करते समय कंठका विकाश हो उनको विवार तदतिरिक्त को संवार तथा जिन वर्णोंका उच्चारण करते समय श्वास चलताहो उनको श्वास, जिनका उच्चारण नादसे होता हो उनको नाद और जिनका उच्चारण करनेपर गूंज होता हो उनको घोष कहते है।

 

संस्कृतके उत्थान के लिये ६२ वर्षोंसे निरन्तर आप भगिरथ प्रयत्न कर रहे हैं। अपने ही हाथों से एक सहस्रसे अधिक प्राचीनसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थोंको प्रकाशित कर आपने भगवती सुरभारतीकी जो सेवाकी है वह अति सराहनीय है और इसके लिए संपूर्ण भारत आपका कृतज्ञ है।

 

 

एकबार कात्यायनसे परास्त होकर पाणिनि तीर्थराज प्रयाग में अक्षयवट के नीचे जहां ऋषिगण तप कर रहे थे वहीं जाकर घोर तपस्या करने लगे। अनंतर तपस्यासे प्रसन्न होकर भगवान् शंकरजी ताण्डव नृत्य करते हुए उन लोगों के सामने प्रकट हुए और १४ बार अपना डमल बजाकर तपस्वियों का अभीष्ट सिद्ध किया। ऐसा नन्दिकेश्वर विरचित काशिकामें लिखा हुआ है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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