संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक पीडीऍफ़ | Sanskrit Swayam Shikshak Book PDF

 


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संस्कृत स्वयं शिक्षक पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sanskrit Swayam Shikshak Book



इस पुस्तक का नाम है : संस्कृत स्वयं शिक्षक | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : श्रीपाद दामोदर सातवलेकर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : राजपाल एंड सन्स, कश्मीरी गेट, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 8 MB है | इस पुस्तक में कुल 212 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "संस्कृत स्वयं शिक्षक" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Sanskrit Swayam Shikshak | This book is authored/edited by : Shripad Damodar Saatvalekar | This book is published by : Rajpal and Sons, Kashmiri Gate, Delhi | PDF file of this book is of size 8 MB approximately. This book has a total of 212 pages. Download link of the book "Sanskrit Swayam Shikshak" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्रीपाद दामोदर सातवलेकरसंस्कृत, साहित्य 8 MB212



पुस्तक से : 

इस पुस्तक का नाम "संस्कृत स्वयं-शिक्षक" है और जो अर्थ इस नाम से विदित होता है वही इसका कार्य है। किसी पण्डितकी सहायता के बिना आर्यभाषा (हिन्दी) जानने वाला मनुष्य इस पुस्तक के पढ़ने से संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त कर सकता है। जो देवनागरी अक्षर नहीं जानते, उनको उचित है कि पहले देवनागरी पढ़कर इस पुस्तक को पढ़ें।

 

हिन्दी अर्थात् आर्यभाषाके कई वाक्य इस पुस्तक में भाषा की रीति से कुछ विरुद्ध पाए जाएंगे, परन्तु वे वैसे इसलिए लिखे गए हैं कि वे संस्कृत वाक्य में प्रयुक्त हुए शब्दों के क्रम के अनुकूल हों। किसी किसी स्थान पर संस्कृत के शब्दों का प्रयोग भी उसके नियमों के अनुसार नहीं लिखा है तथा शब्दोंकी सन्धि कहीं भी नहीं की गई।

 

बहुत लोग यह समझते हैं कि संस्कृत भाषा बहुत कठिन है, कई वर्ष प्रयत्न करने से ही उसका ज्ञान हो सकता है। परन्तु वास्तवमें विचार किया जाए तो यह भ्रममात्र है। संस्कृत भाषा नियमबद्ध होने के कारण तथा स्वभाव सिद्ध होने के कारण सब वर्तमान भाषाओं से सुगम है। कम-से-कम मैं यह कह सकता हूं कि अंग्रेजी भाषा संस्कृत भाषा से 10 गुना कठिन है।

 

 

यह मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूं कि प्रतिदिन एक घण्टा प्रयत्न करने से एक वर्षके अन्दर व्यावहारिक संस्कृत भाषा का ज्ञान इस पुस्तककी पद्धतिसे हो सकता है। परन्तु पाठकोंको यह बात ध्यानमें रखनी चाहिए कि केवल उत्तम शैली से ही काम नहीं चलेगा, पाठकों का यह कर्तव्य होगा कि वे प्रतिदिन पर्याप्त और निश्चित समय इस कार्यके लिए अवश्य लगाया करें, नहीं तो कोई पुस्तक कितनी ही अच्छी क्यों न हो, बिना प्रयत्न के पाठक उससे पूरा लाभ नहीं उठा सकते।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

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