सरस्वती वंदना हिन्दी पुस्तक | Saraswati Vandana Hindi Book PDF


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सरस्वती वंदना हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Saraswati Vandana Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : सरस्वती वंदना | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : मनोहर विद्यालंकार | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गोविंदराम हासानंद, दिल्ली| इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 28 MB है | इस पुस्तक में कुल 52 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "सरस्वती वंदना" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Saraswati Vandana | This book is written/edited by : Manohar Vidyalankar| This book is published by : Govindram Hasanand, Delhi| PDF file of this book is of size 28 MB approximately. This book has a total of 52 pages. Download link of the book "Saraswati Vandana" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
मनोहर विद्यालंकारधार्मिक28 MB52



पुस्तक से : 

विद्वान् मानते आए हैं कि वेद के शब्दोंको रूढ़ न मानकर योगरूढ़ या यौगिक स्वीकार करना चाहिए। केवल रूढ़ अर्थ के आधार पर ही मन्त्रार्थ करनेसे मूर्खता की पराकाष्ठा हो जाती है। मध्य काल के वेद भाष्यकारों के इस आग्रह ने वेदको हास्यास्पद बना दिया था।

 

इन तीनों का मन्त्रार्थ से अच्छा सम्बन्ध प्रतीत होता है। ऐसा नहीं होता तो मन्त्र के साथ इन तीनोंका अनिवार्य साहचर्य न माना जाता। किंतु इसका यह अर्थ भी नहीं कि ऋषि के बिना वेदका पढ़ना निरर्थक है। ठीक वैसे ही जैसे निर्दिष्ट औषधि का गुण या दोष ज्ञान न होने पर भी रोगीको लाभ ही होता है।

 

भिन्न-भिन्न राग की तरह, छन्दों का भी समय के हिसाब से तथा अवसर के अनुरूप प्रयोग किया जाता है। वेद में इन छन्दों का भी विषय से सम्बन्ध होता है। जैसे मनुष्य वाहन पर एक स्थानसे दूसरे स्थान पर जाता है, वैसे ही छन्दों के अर्थ द्वारा उपदिष्ट आचरणको अपना कर वह कहीं भी पहुँच सकता हैं।

 

 

चर्मचक्षुओं से देखने वाला या अज्ञान के बन्धन से घिरा हुआ व्यक्ति पशु के समान है। चक्षुत्रों पर पूरी तरहसे निर्भर न होकर मन द्वारा मनन करने वाला व्यक्ति एक मनुष्य है। गृहस्थ बनकर परिवारका पालन करने वाला व्यक्ति पितर है। मनन के उपरान्त पदार्थ में अन्तर्हित रहस्यको समझने वाला तथा समझने के अनन्तर प्रेरणा को अपने जीवनमें आचरण द्वारा उतारने वाला ऋषि है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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