सत्यनारायण व्रत प्रेरणा - श्रीराम शर्मा आचार्य | Satyanarayan Vrat Prerna - Shriram Sharma Acharya PDF

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सत्यनारायण व्रत प्रेरणा हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Satyanarayan Vrat Prerna Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : सत्यनारायण व्रत प्रेरणा | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 12 MB है | इस पुस्तक में कुल 55 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "सत्यनारायण व्रत प्रेरणा" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Satyanarayan Vrat Prerna | This book is authored/edited by : Pandit Shriram Sharma Acharya | This book is published by : Yug Nirman Yojana Vistar Trust, Gayatri Tapobhumi, Mathura | PDF file of this book is of size 12 MB approximately. This book has a total of 55 pages. Download link of the book "Satyanarayan Vrat Prerna" has been given further on this page from where you can download it for free.


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श्रीराम शर्मा आचार्यधर्म, अध्यात्म, भक्ति 12 MB55



पुस्तक से : 

सत्यनारायण व्रत कथा लोकप्रिय तो बहुत है, किन्तु वर्तमान प्रचलित क्रम में उसका उपयोगी रूप लुप्तप्राय हो गया है। ऋषियों ने सत्यनारायण व्रत का प्रचार इस उद्देश्य से किया था कि लोग भगवान्को मनुष्य रूपमें नहीं: वरन, सिद्धान्त रूप एवं शक्ति-रूप में समझें।

 

सत्यनारायण व्रत कथा से सभी वर्गों को मार्गदर्शन दिया जा सकता है। समाजमें चार शक्तियाँ प्रधान रूप से सक्रिय रहती हैं - १. ज्ञान २. बल ३. धन ४. श्रम। इन सभी शक्तियोंका विकास और सदुपयोग समाज की सुव्यवस्था लिए आवश्यक है। इन्हीं शक्तियों से सम्पन्न व्यक्तियों को क्रमशः 1. ब्राह्मण २. क्षत्रिय ३. वैश्य एवं ४.शुद्र कहा जाता था। इन शक्तियों को सत्य-परायण बनाकर कैसे सुख-समृद्धि पायी जाय यह मार्गदर्शन सत्यव्रत कथा से मिलता है।

 

सत्य ही नारायण है, यह सत्यनारायण कथा से उभरता है। सत्य रूप में भगवान्को मानकर उसकी आराधना ही सत्य-व्रत है।

 

 

इस दृष्टि से सत्यनारायण व्रत कथा बहुत लोकोपयोगी है। लोकप्रिय कथा को लोकोपयोगी ढंग से प्रस्तुत किया जा सके, तो समाजका उल्लेखनीय लाभ हो सकता है। लोग सत्यव्रत का सही रूप सत्यनारायण कथा के माध्यम से समझ लें, तो सच्चे अर्थोंमें आस्तिक बने तथा सुख-समृद्धिके अधिकारी बन जायें। इसके लिए कथावाचकोंको अपने गंभीर उत्तरदायित्व को समझना और पालन करना होगा।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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