शारदायनम हिन्दी पुस्तक | Sharadayanam Hindi Book PDF


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शारदायनम हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Sharadayanam Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : शारदायनम | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : प्रोफेसर पी. एन. शास्त्री | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, जम्मू| इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 451 MB है | इस पुस्तक में कुल 314 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "शारदायनम" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Sharadayanam | This book is written/edited by : Pro. P. N. Shastri| This book is published by : Rashtriya Sanskrit Sansthan, Jammu| PDF file of this book is of size 451 MB approximately. This book has a total of 314 pages. Download link of the book "Sharadayanam" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
प्रोफेसर पी. एन. शास्त्रीधार्मिक451 MB314



पुस्तक से : 

दर्शन के अनुसार परमेश्वर या परमशिवको ही एकमात्र परमसत्य माना गया है। इस परमशिव के दो स्वरूप माने गये हैं विश्वोत्तीर्ण और विश्वमय। परमशिव एक ही साथ अपने दोनों स्वरूपोमें शाश्वत रूप से विराजमान रहता है। पहली स्थितिमें वह केवल प्रकाशमय है।

 

यह सम्पूर्ण विश्व उसके क्रीड़ा स्वभावकी अभिव्यक्ति है। वह विश्वोत्तीर्ण है। सभी पदार्थों में शिवतत्त्व ही स्फुरित होता है, उसकी तीन शक्तियाँ, इच्छा, ज्ञान और क्रिया समरस अवस्थामें रहती है। उसकी चिद्रूपालादस्वरूप, निर्विभाग पर विश्वोत्तीर्ण अवस्था मानी जाती है।

 

यही इसकी विशिष्टता है। मेरे पत्रका विषय कश्मीर शैवदर्शन के शैवाचार्य वसुगुप्तजी पर किञ्चित प्रकाश डालना ही होगा। आचार्य वसुगुप्त अद्वैतवादी शैवदर्शनके मूल प्रवर्तक हैं। नरसिंह गुप्त की वंश परम्परामें वसुगुप्तजी का जन्म हुआ। इनका समय नवमी शताब्दी बताया जाता है।

 

 

यह चैतन्य स्वरूप है। परमशिव, परमेश्वर इत्यादि इसके कई नाम है। सूक्ष्म दृष्टिसे देखे तो जड़ चेतन सब कुछ यही है। इच्छा और क्रियात्मक शिव पूर्णानन्द स्वरूप वाला है। विमर्श शक्ति ही इसका स्वभाव है। इस विमर्श शक्तिके पाँच स्वरूप बड़े महत्वपूर्ण हैं। ये पांच इच्छा, ज्ञान, क्रिया, चित तथा आनन्द है। इसके बिना शिव और शिव के बिना ये शक्ति नहीं रह सकती।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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