श्री गायत्री चालीसा चित्रावली - श्रीराम शर्मा आचार्य | Shri Gayatri Chalisa Chitrawali - Shriram Sharma Acharya PDF

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श्री गायत्री चालीसा चित्रावली हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Gayatri Chalisa Chitrawali Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : श्री गायत्री चालीसा चित्रावली | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB है | इस पुस्तक में कुल 49 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "श्री गायत्री चालीसा चित्रावली" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Shri Gayatri Chalisa Chitrawali | This book is authored/edited by : Pandit Shriram Sharma Acharya | This book is published by : Yug Nirman Yojana Vistar Trust, Gayatri Tapobhumi, Mathura | PDF file of this book is of size 2 MB approximately. This book has a total of 49 pages. Download link of the book "Shri Gayatri Chalisa Chitrawali" has been given further on this page from where you can download it for free.


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पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यधर्म, अध्यात्म, भक्ति 2 MB49



पुस्तक से : 

श्री गायत्री दिव्य शक्तियोंकी जननी है उनमें कितनी शक्तियाँ समाई हुई हैं, आज के समय में तो कोई विरला ही माईका लाल जानता होगा। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने अपने-अपने साधनात्मक अनुभवके आधार पर उनकी महिमाका गान किया है। उसी महिमाका जनसाधारण को बोध कराने के लिए परम पूज्य गुरुदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने गायत्री चालीसाकी रचना की है।

 

श्रीगायत्री चालीसाका पाठ करने से हमारी यह धारणा दृढ़ होती है कि गायत्री देवमाता, वेदमाता एवं विश्वमाता है। इस धारणासे हमारी श्रद्धा भक्ति तथा निष्ठाको बड़ा बल मिलता है। जिसको पारसमणिके महत्त्व का ज्ञान होता है, वही उसे प्राप्त करने का प्रयास करता है तथा उसका उपयोग करके लाभान्वित होता है।

 

समुद्र मंथनमें मात्र १४ रत्न निकले थे किंतु इस गायत्री मंत्रमें २४ रत्न भरे पड़े हैं। उनका उपयोग करके अपने को श्रेष्ठ बनाना मनुष्य के अपने वश की बात है। अस्तु गायत्री उपासना का यह प्रथम चरण है।

 

 

इस गायत्री चालीसा का नियमित पाठ करने से श्रीगायत्री की शक्तियों का ज्ञान होता है । औषधि का गुण-धर्म जानने के पश्चात ही उसका लाभ उठाया जा सकता है। उसी प्रकार भगवती गायत्रीकी शक्तियोंसे लाभान्वित होने के लिए उनकी शक्तियोंका महत्त्व समझना चाहिए। इसी आधार पर इस सचित्र गायत्री चालीसाकी रचना की गई है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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