श्री कृष्णलीला का चिंतन (गीता प्रेस) पीडीएफ | Shri Krishna Leela Ka Chintan (Gita Press) Hindi Book PDF


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श्री कृष्णलीला का चिंतन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Krishna Leela Ka Chintan Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : श्री कृष्णलीला का चिंतन | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 108 MB है | इस पुस्तक में कुल 504 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "श्री कृष्णलीला का चिंतन" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Shri Krishna Leela Ka Chintan | This book is written/edited by : Unknown | This book is published by : Gita Press, Gorakhpur | PDF file of this book is of size 108 MB approximately. This book has a total of 504 pages. Download link of the book "Shri Krishna Leela Ka Chintan" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
अज्ञातधार्मिक108 MB504



पुस्तक से : 

छिद्र बंद हो गया, व्रजराज की आँखें भी बंद हो गयीं। पर आश्चर्य, मानो अब कोई व्यवधान ही नहीं। गोपेश सब कुछ स्पष्ट देख पा रहे हैं, प्रसूति उत्तानशायी होकर शिशु अवस्थित है। शिशु क्या है, मानो अनन्तजन्मार्जित पुण्यराशिरूप कल्पतरु उद्यान का प्रफुल्ल कुसुम हो। 

 

अन्य समस्त परिचारिकाएँ भी निद्राभिभूत होकर बाह्यज्ञान  शून्य हो रही हैं। दिव्य नराकृति परब्रह्मको सूतिकागारमें पदार्पण करते किसी ने देखा तो नही, लेकिन उनके आते ही समस्त सूतिकागार एक अभिनव चिन्मय रस से भर गया और वहाँका कण कण उस रसमें मग्न हो गया।

 

उनसे कुछ दूर पर पुराणका पारायण किया जा रहा हैं। उनसे कुछ हटकर व्रजेश वंशावली का कीर्तन कर रहे हैं। उनके बगल में बंदीजनों की पंक्तियाँ हैं, वे मधुर स्वरमें व्रजेश की स्तुति कर रहे हैं। उनके सामने दूसरी ओर संगीतज्ञों का एक दल है, वे वीणा के स्वरमें स्वर मिलाकर मधुर रागिनी गारहे हैं। 

 

 

आज के सम्मान को रोहिणी ने स्वीकार कर लिया है। इससे पूर्व रोहिणी ने कभी भी घर के वस्त्र, सुन्दर आभूषणों की ओर ताका भी नहीं था। वे सदा पतिवियोग से मन ही मन खिन्न रहती थीं। लेकिन आज यशोदानन्दन का मुख देखते ही रोहिणी आनन्दमें निमग्न हो गई। इसीसे वे नन्दप्रदत्त दिव्य आभूषणों से सुसज्जित होकर महिलाओं के सत्कार में लगी हुई हैं।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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