श्री रमण महर्षि से बातचीत पुस्तक | Shri Raman Maharshi Se Baatcheet Book PDF

  

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श्री रमण महर्षि से बातचीत हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Shri Raman Maharshi Se Baatcheet Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : श्री रमण महर्षि से बातचीत | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : श्री दिनेशचंद्र शर्मा | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : शिवलाल अग्रवाल एंड कंपनी, आगरा | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 210 MB है | इस पुस्तक में कुल 448 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "श्री रमण महर्षि से बातचीत" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Shri Raman Maharshi Se Baatcheet | This book is authored by : Shri Dineshchandra Sharma | This book is published by : Shivlal Agrawal And Company, Agra | PDF file of this book is of size 210 MB approximately. This book has a total of 448 pages. Download link of the book "Shri Raman Maharshi Se Baatcheet" has been given further on this page from where you can download it for free.


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श्री दिनेशचंद्र शर्माभक्ति,धर्म210 MB448



पुस्तक से : 

क्या कोई व्यक्ति अन्य व्यक्ति के मनके भावों को जान सकता है ? इन प्रश्नों के लिए गुरुदेव का उत्तर था कि रहस्यपूर्ण एवं अद्भुत शक्तियाँ आध्यात्मिक नहीं हैं। अतिसामान्य शक्तियाँ पूर्ण चैतन्य के मार्ग में सहायक होनेकी अपेक्षा अधिकतर बाधक ही हैं।

 

आत्म-विचार का फल यह अनुभूति होना है कि आत्मा ही सब कुछ है, अन्य कुछ भी नहीं है। जो साधक इस पद्धतिका अनुसरण करते हैं उन्हें अन्य किसी साधनकी आवश्यकता नहीं है। किन्तु भक्ति मार्ग के साधक भी उसी लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।

 

एक सन्त के समीप कोई भी व्यक्ति अनेक प्रकारके मनोभावों से युक्त होकर जा सकता है। सद्ज्ञान-विरोधी एवं संशयवादी, आस्तिक एवं नास्तिक, चमत्कारों को प्राप्त करनेकी चेष्टा करने वाले एवं मानसिक-दृश्यों के इच्छुक, सभीका महर्षि के समीप आगमन होता था।

 

 

जिन भक्तों को भी श्री रमण के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है, वे यह "वार्ता" पढ़ते ही स्वभावतया पूर्वस्मृतियों से परिपूर्ण हो जायेंगे और अपने मनमें अंकित सद्गुरु द्वारा कहे गये बचनोंको प्रेम से पुनः स्मरण करेंगे। इसके बावजूद कि अरुणाचलके महान ऋषि ने अधिकतर मौन द्वारा ही उपदेश प्रदान किया था, उन्होंने वाणी द्वारा भी निर्देश दिया था। अपने श्रोताओं के मन को निराश किये बिना।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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