सूरदास और भ्रमरगीत सार हिन्दी पुस्तक | Surdas Aur Bhramargeet Sar Hindi Book PDF


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सूरदास और भ्रमरगीत सार हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Surdas Aur Bhramargeet Sar Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : सूरदास और भ्रमरगीत सार | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : डॉ. किशोरी लाल | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अभिव्यक्ति प्रकाशन, प्रयागराज | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 44 MB है | इस पुस्तक में कुल 289 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "सूरदास और भ्रमरगीत सार" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Surdas Aur Bhramargeet Sar | This book is written/edited by : Dr Kishori Lal | This book is published by : Abhivyakti Prakashan, Prayagraj | PDF file of this book is of size 44 MB approximately. This book has a total of 289 pages. Download link of the book "Surdas Aur Bhramargeet Sar" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ. किशोरी लालधार्मिक44 MB289



पुस्तक से : 

दोनों भ्रमरगीत की तुलना में इसकी रचना में प्रणयन का उद्देश्य ज्यादा स्पष्ट हुआ है। इसमें मात्र भागवत कथा का ही विनियोग नहीं हुआ बल्कि भाव व्यंजना के उत्कर्षको भी महत्व दिया गया है। इसके साथ ही इसमें भ्रमर के रूपमें यथाप्रसंग श्रीकृष्ण को उपालम्भ भी दिया गया है। 

 

सूर ने जनता की इस कठिनाई को समझते हुए भक्ति को एक सरल मार्ग की अवतारणा उद्धव जैसे ज्ञानी पुरुष और सरल हृदय और प्रेम की प्रतिमूर्ति राधा और गोपियों के रूपमें की है। वास्तव में दर्शन के कठिन सिद्धान्त और ज्ञान तत्वका चिन्तन सामान्य गोपियों के लिए बिलकुल भी नहीं है। 

 

उद्धव के पहुँचने पर गोपियाँ स्वागत करती हैं। फिर उद्धव अपना संदेश उनके सामने प्रस्तुत करते हैं, जिसे सुनने के बाद गोपियाँ उन्हें फटकारती हैं, और श्रीकृष्ण के सम्बन्धमें पूछती हैं तथा उलाहना देती हैं। उनके कमलवत् चरणों के निकट मँडराने वाले भ्रमरको बुरा भला कहती हैं और उसे कोसती हैं।

 

 

टीका का कार्य अब इतना सरल समझ लिया गया हैं कि जिनका इस विषयमें अधिक अभिनिवेश भी नहीं हैं, वे भी अब व्याख्याकार बन बैठे है। इसका परिणाम यह हुआ है कि परीक्षा में बैठने वाले प्रत्याशीगण भ्रमात्मक व्याख्या के कारण अच्छे अंकोंकी प्राप्ति नहीं कर पाते हैं। जिस ललक के साथ इसे खरीदते और पढ़ते हैं, उनकी वो ललक अधूरी ही रह जाती है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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