तंत्राचार्य गोपीनाथ कविराज और योग तन्त्र साधना पीडीएफ | Tantracharya Gopinath Kaviraj Aur Yog Tantra Sadhana Hindi Book PDF


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तंत्राचार्य गोपीनाथ कविराज और योग तन्त्र साधना हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Tantracharya Gopinath Kaviraj Aur Yog Tantra Sadhana Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : तंत्राचार्य गोपीनाथ कविराज और योग तन्त्र साधना | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : रमेशचंद्र अवस्थी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 28 MB है | इस पुस्तक में कुल 122 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "तंत्राचार्य गोपीनाथ कविराज और योग तन्त्र साधना" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Tantracharya Gopinath Kaviraj Aur Yog Tantra Sadhana | This book is written/edited by : Rameshchandra Awasthi | This book is published by : Vishwavidyalaya Prakashan, Varanasi | PDF file of this book is of size 28 MB approximately. This book has a total of 122 pages. Download link of the book "Tantracharya Gopinath Kaviraj Aur Yog Tantra Sadhana" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
रमेशचंद्र अवस्थीतंत्र - मंत्र28 MB122



पुस्तक से : 

मन्त्र संस्मरणों को दबाया नहीं जाता बल्कि इनके साथ खेला जाता है। इनके दबाने से साधक में मानसिक रोग पैदा हो सकता है। मन के सभी विचारोंका सतत बोध रखने से किसी समय साधक भावातीत स्थितिका अनुभव कर सकता है।

 

प्राचीनतम भारतीय संस्कृति साधना के रहस्य को जन जन तक और जिज्ञासु पाठकों के समक्ष प्रकट करनेकी अपार क्षमता श्री गोपीनाथ कविराज जी जैसे महर्षि मनोषियों में ही निहित हो सकती है। इस प्रयास के लिए भारतीयता के समर्थक श्री कविराजजी के हमेशा आभारी रहेंगे।

 

हम लोगों में नारी और नरका बोध इस तरह जटिल भाव से मिश्रित हो गया है कि हम लोग वास्तविक प्रकृति जो कि इस सृष्टि के मूलमें इस विश्व-जगत् का रक्षण एवं परिवर्तन कर रही है, उसे तथा उस एकमात्र पुरुषको जो प्रकृति के अतीत की अनन्य चेतना है, दोनों के ही स्वरूप को जानने में असमर्थ है।

 

 

ब्रह्माण्ड की सूक्ष्म चीज को हम नहीं देख पाते है और न ही ध्वनि तरंगों को ही सुन पाते हैं। अतः हमारा मन सीमित दायरे में ही काम करता है। मन के इस सीमा बन्धनको ताड़ने के पश्चात ही असीम अनन्तताका अनुभव कर सकते है। मन की गति दी हुई सूचना पर निर्भर करता है। यदि आपका निर्णायक शक्ति समुचित सहायता नहीं करती है, तो आपकी बुद्धि भी काम नहीं करेगी। इस शृंखला को तोड़नेका उपाय भी है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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