वायु पुराण - हिन्दी अनुवाद सहित ग्रन्थ | Vayu Puran - Hindi Anuvad Sahit Book PDF

 

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वायु पुराण - हिन्दी अनुवाद सहित पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vayu Puran - Hindi Anuvad Sahit Book



इस पुस्तक का नाम है : वायु पुराण - हिन्दी अनुवाद सहित | इस पुस्तक के मूल लेखक हैं : महर्षि वेदव्यास | इस ग्रन्थ के हिन्दी अनुवादक हैं : रामप्रताप त्रिपाठी शास्त्री | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : हिन्दी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 53 MB है | इस पुस्तक में कुल 1160 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "वायु पुराण - हिन्दी अनुवाद सहित" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Vayu Puran - Hindi Anuvad Sahit | This book is originally authored by : Maharshi Vedvyas| Hindi Translation is done by : Rampratap Tripathi Shastri | This book is published by : Hindi Sahitya Sammelan, Prayag | PDF file of this book is of size 53 MB approximately. This book has a total of 1160 pages. Download link of the book "Vayu Puran - Hindi Anuvad Sahit" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
महर्षि वेदव्यासधर्म, पुराण, भक्ति 53 MB1160



पुस्तक से : 

पहले वायुपुराण वाङ्मयमर्मज्ञ विद्वानोंके कथनानुसार विशालकाय ग्रन्थ था जिसका एक भाग शिवपुराणके रूप में परिवर्तित हो गया है। संप्रति वायुपुराण में बारह सहस्रश्लोक ही पाये जाते हैं। महाभारत और हरिवंशपुराण में इसका उल्लेख आता है। महाकवि बाणभट्ट (६०० ई०) ने अपने ग्राम में वायुपुराणके पाठ का वर्णन किया.

 

इस पुराणमें समग्र भूवलय पर स्थित देशों का वर्णन किया गया है। वहाँ के निवासियों के आचार-विचार, स्वभाव, सभ्यता, रुचि और भौगोलिक स्थिति आदि का वर्णन भी है। भारतवर्ष से अन्य देशोंके नामों के अप्रचलित होने के कारण उनके विषय में कुछ कहना असंगत है। यहाँ केवल भारतवर्ष और इसके सीमावर्ती देशोंके विषयमें ही कहा जा सकता है। यह पुराण भारतवर्ष को जम्बूद्वीप का मध्यस्थान मानता है।

 

इसमें बौद्ध और जैन धर्मका उल्लेख नहीं है, पर गुप्त साम्राज्य का उल्लेख है। यही नहीं, इसमें गया-माहात्म्य बहुत विशद रूप से वर्णित है। संगीत विषय पर भी एक अध्याय है। स च प्रतिसर्गश्च' - इत्यादि सुप्रसिद्ध पुराण लक्षण इसमें पूर्णतया घटित होता है।

 

 

इस पुराण का अनुवाद स्वर्गीय पण्डित रामप्रताप त्रिपाठी ने किया था। उसीको सम्मेलन ने इस संस्करण में स्थान दिया है। इसमें मूल श्लोक आनन्दाश्रम पूना से प्रकासित वायुपुराण से लिये गये हैं। किन्तु मूल श्लोक तथा यत्रतत्र हिन्दी अनुवाद में भी पण्डित श्री तारिणीश झा ने सपरिश्रम संशोधन किया है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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