वैदिक कोश हिन्दी पुस्तक | Vedic Kosh Hindi Book PDF


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वैदिक कोश हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vedic Kosh Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : वैदिक कोश | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित चंद्रशेखर उपाध्याय | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : नाग प्रकाशन, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 163 MB है | इस पुस्तक में कुल 456 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "वैदिक कोश" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Vedic Kosh | This book is written/edited by : Pandit Chandrashekhar Upadhyay | This book is published by : Nag Prakashan, Delhi | PDF file of this book is of size 163 MB approximately. This book has a total of 456 pages. Download link of the book "Vedic Kosh" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित चंद्रशेखर उपाध्यायधार्मिक163 MB456



पुस्तक से : 

मरण समय में प्राणियोको रुलाने वाले। प्राणों के साधक ज्ञान सम्पादन करने वाले सर्वोपास्य परमेश्वर के उपासक विद्वान्। बड़े भारी सूर्यऔर पृथ्वी के समान देह में स्थित तथा और अपान भूमि और राज्य या विद्या और कर्म दोनोको उत्तम रीति से धारण और पोषण करते हैं।

 

असुरों को जीतने वाले हे सोम! जिन स्तुतियों से तू बढ़ता है उन्हे तृप्त कर। हे राजन् जिन प्रजाओं में रहकर शीघ्र शत्रुओं को जीतने वाले अपने आपको तू बढ़ाता है तुम दोनों स्तुतियोग्य, जरायुके साथ बाहर आए और विविध गुणोंसे पूर्ण रमणीय बालक को संभाला।

 

वेन नामक करन्त मध्यस्थानीय देव द्योतमान मेघ जो बिजलीसे चमकता है तथा गर्भ के जरायु के समान बेष्टक है यानी मेघरूपी जरायु में प्रकाशमान गर्भ सा स्थित अन्तरिक्षमें वर्तमान हो आदित्य की रश्मियों में रहने वाले जलों को वर्षा ऋतुमें पृथिवी की और प्रेरित करता है।

 

 

सभी प्राणियों में अग्रणी मनुष्य सर्वप्रथम ज्ञान देने वाले एक ब्रह्मचर्याश्रम में उत्पन्न होता है। फिर वो वेदविद्या को प्राप्त कर गृहस्थाश्रम में द्वितीय जन्म धारण करता है। इसके बाद फिर विद्यार्थियों में संलग्न मनवाला कर्म प्रधान वाणप्रस्थाश्रम में तीसरा जन्म ग्रहण करता है और फिर इस परमात्माको निरन्तर अपने हृदय में प्रदीप्त करता हुआ ध्यानी संन्यासी हो धर्मका उपदेश करता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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